मुस्लिम पुत्र ने किया हिंदू मां का श्राद्धकर्म

इस्लामपुर : वर्तमान समय में जहां चारो ओर जाति-धर्म को लेकर लोगों के बीच भेदभाव, मारपीट की घटनाएं हो रही हैं. वहीं इस्लामपुर ब्लॉक के माटीकुंडा गांव में मृत हिंदू सम्प्रदाय की मां का दाह संस्कार से लेकर श्राद्धकर्म तक एक मुस्लिम सम्प्रदाय के मुंहबोले बेटे ने किया. यह कहानी गांव की ममता बाड़ुई व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2018 1:55 AM
इस्लामपुर : वर्तमान समय में जहां चारो ओर जाति-धर्म को लेकर लोगों के बीच भेदभाव, मारपीट की घटनाएं हो रही हैं. वहीं इस्लामपुर ब्लॉक के माटीकुंडा गांव में मृत हिंदू सम्प्रदाय की मां का दाह संस्कार से लेकर श्राद्धकर्म तक एक मुस्लिम सम्प्रदाय के मुंहबोले बेटे ने किया. यह कहानी गांव की ममता बाड़ुई व उसके कर्मचारी मोहम्मद सलीम की है.
माटीगुंडा गांव में ममता बाड़ुई के होटल में मोहम्मद सलीम वर्षों से काम करता था. वह ममता बाड़ुई को काम में मदद करता था. देखते ही देखते 16 साल बीत गये. सलीम अब 24 साल का युवक है. अचानक ममता बाड़ुई के बीमार पड़ने से दो जून को उसकी मौत हो गयी. सलीम ने पूरे गांव को चौंकाते हुए हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार ममता का दाह संस्कार किया. ममता बाड़ुई के अपने बेटों के साथ सभी कर्मकांडों का पालन करता रहा. दोनों लगभग एक ही उम्र के हैं. सलीम का कहना है कि ममता मां ने ही उसे सभी धर्मों के प्रति समान श्रद्धा रखना सिखाया है. इतना ही नहीं सलीम को नमाज पढ़ने के लिए प्रेरित करने, मस्जिद जाने व ईद में नमाज पढ़ने के लिए भी उसकी ममता मां ने प्रेरित किया.
हर साल ईद में ममता मां उसके लिए सेवइयां बनाती थी. इसलिए वह भी ममता मां की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध होने तक निरामिष आहार का सेवन करता रहा. बुधवार को ममता देवी का श्राद्ध अपने बेटे प्रसेनजीत के साथ मिलकर पूरी निष्ठा से संपन्न किया.
सलीम के माता-पिता उसी इलाके में रहते है. सलीम की मां सबीना खातून ने बताया कि वह ममता के पास ही बड़ा हुआ है. वह अपने मन की शांति के लिए यह सब कर रहा है. शुरू में रिश्तेदारों ने आपत्ति जतायी थी. लेकिन उसके अटल फैसले के सामने तथाकथित धर्मगुरुओं को झुकना पड़ा. शनिवार को बौदी का होटल आधे दिन तक बंद रहा. क्योंकि सलीम ईद का नमाज पढ़ने गया था. सलीम को एक ही दुख है कि इसबार उसकी ममता मां सेवइयां बनाकर नहीं खिला पायेंगी. इलाके के तमाम लोगों के लिए सलीम चर्चा का विषय बना हुआ है. वह इलाके के साम्प्रदायिक सद्भावना का मिशाल बन चुका है.

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