इस बार बरसात में फिर उफनेंगी डुवार्स की नदियां बाढ़ का बढ़ा खतरा

सिलीगुड़ी: जैसे-जैसे बरसात का समय नजदीक आते जा रहा है, वैसे-वैसे डुवार्स के विभिन्न इलाकों में खासकर नदियों के किनारे रहने वाले लोगों के दिलों की धड़कन बढ़ती जा रही है. ऐसा इसलिए कि हर वर्ष ही बरसात के समय डुवार्स की सभी नदियां उफान पर रहती है. हर हमेशा ही बाढ़ का खतरा बना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 28, 2014 10:14 AM

सिलीगुड़ी: जैसे-जैसे बरसात का समय नजदीक आते जा रहा है, वैसे-वैसे डुवार्स के विभिन्न इलाकों में खासकर नदियों के किनारे रहने वाले लोगों के दिलों की धड़कन बढ़ती जा रही है.

ऐसा इसलिए कि हर वर्ष ही बरसात के समय डुवार्स की सभी नदियां उफान पर रहती है. हर हमेशा ही बाढ़ का खतरा बना रहता है. इस वर्ष इन इलाकों में बाढ़ से स्थिति और भी अधिक बिगड़ने की संभावना है, क्योंकि विभिन्न नदियों के तटबंधों के मरम्मती का काम धन के अभाव में रूक गया है. सिंचाई विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डुवार्स में छोटी-बड़ी करीब 75 नदियां हैं, लेकिन कालजानी, संकोष, रायडाक, गरम, तोर्षा, डायना, जलढाका तथा मुंजाइ नदी का नाम बड़ी नदियों में सुमार है. यह सभी नदियां बरसात के दिनों में पूरे उफान पर होती है और कई गांवों को तबाह करती है.

सिंचाई विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन सभी नदियों के तटबंधों की मरम्मत पिछले एक वर्ष से नहीं हुई है. धन के अभाव में मरम्मती का काम पूरी तरह से रूका हुआ है. इस वजह से बाढ़ के समय इन नदियों के तटबंध टूट सकते हैं. ऐसे में कुमारग्राम तथा अलीपुरद्वार इलाके के हंटापाड़ा, रिटर्न पाड़ा, निमाई पाड़ा आदि सहित कई इलाकों में बाढ़ से स्थिति भयावह हो सकती है. कृषि विभाग के सूत्रों ने आगे बताया कि संकोष नदी इस बार बरसात में व्यापक तबाही फैला सकती है. बाढ़ की स्थिति में ना केवल कई गांव प्रभावित होंगे, बल्कि खेती की जमीन को भी भारी नुकसान पहुंचेगा. भूटान में अवैध डोलोमाइट के खनन के कारण बड़े पैमाने पर बालू-पत्थर के साथ-साथ रासायनिक तत्व इस नदी में बहाये जाते हैं.

बाढ़ की स्थिति में पानी के साथ खेती की जमीन पर पत्थर-बालू एवं रासायनिक तत्वों का प्रभाव पड़ेगा. इससे खेती मुश्किल हो जाएगी. सूत्रों ने आगे बताया कि पिछले वर्ष राज्य सरकार की पहल पर कई स्थानों पर बांध की मरम्मती का काम कराया गया था. लेकिन सिर्फ राज्य सरकार की बदौलत ही इस समस्या का समाधान संभव नहीं है. डुवार्स की जितनी भी नदियां हैं उसके बाढ़ नियंत्रण का काम ब्रह्मपुत्र नदी बोर्ड के नियंत्रण में है. ब्रह्मपुत्र नदी बोर्ड को बांध की मरम्मती के काम के लिए 12 करोड़ रुपये का प्रस्ताव पहले ही भेज दिया गया है. लेकिन बोर्ड ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है. सूत्रों ने ब्रह्मपुत्र नदी बोर्ड पर भेदभाव बरतने का भी आरोप लगाया है. इस संबंध में सिंचाई विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ब्रह्मपुत्र नदी बोर्ड का कार्यालय असम के गुवाहाटी में है. बोर्ड का ध्यान असम की नदियों पर ही टिका रहता है. पश्चिम बंगाल के डुवार्स में बहने वाली नदियों के तटबंधों की मरम्मत अथवा रख-रखाव पर बोर्ड का रवैया उदासीन रहता है. इसी कारण से इस तरह की परेशानी हो रही है.

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