महिला चाय श्रमिक को खा गया नरभक्षी तेंदुआ

मालबाजार : नरभक्षी बाघ के बारे में सुनने-पढ़ने को मिलता रहा है, लेकिन तेंदुए के नरभक्षी होने की घटना से सभी स्तब्ध हैं. तेंदुए के इंसानों पर हमले की घटनाएं सामने आती हैं, लेकिन इस बार वह एक महिला चाय श्रमिक को मारकर खा गया है. यह विरल घटना जलपाईगुड़ी जिले के माल थाने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 11, 2018 4:13 AM
मालबाजार : नरभक्षी बाघ के बारे में सुनने-पढ़ने को मिलता रहा है, लेकिन तेंदुए के नरभक्षी होने की घटना से सभी स्तब्ध हैं. तेंदुए के इंसानों पर हमले की घटनाएं सामने आती हैं, लेकिन इस बार वह एक महिला चाय श्रमिक को मारकर खा गया है. यह विरल घटना जलपाईगुड़ी जिले के माल थाने के बेंतगुड़ी चाय बागान इलाके की है. मंगलवार की सुबह जब बागान के श्रमिक 22 नंबर सेक्शन में पत्ते तोड़ने गये तो उन्हें सुकुरमनी उरांव (51) की आधी खायी हुई लाश मिली. इसके बाद वन विभाग को सूचित किया गया. इस घटना से चाय बागान इलाके में दहशत है.
सुकुरमनी उरांव का घर बेंतगुड़ी चाय बागान के चैती लाइन श्रमिक बस्ती में है. उसके पति बिरसाई उरांव और सुकुरमनी सोमवार माल ब्लॉक के तेसीमला चाय बागान काम करने गये थे. वापसी में पैदल चलते चलते सुकुरमनी कुछ ज्यादा ही थक गयी थी. वह पति से आगे बढ़ने के लिए बोलकर वहीं आराम करने लगी. बिरसाई जब घर पहुंचे तब तक रात के आठ बज चुके थे. जब उनकी पत्नी देर रात 11 बजे तक नहीं पहुंचीं तो उन्होंने खोजबीन शुरू की. मंगलवार की सुबह माल थाने में इसकी सूचना देने की वह सोच ही रहे थे कि चाय बागान की झाड़ियों में सुकुरामनी का शव मिलने की जानकारी मिली.
माल वाइल्ड लाइफ स्क्वॉड के बीट ऑफिसर काजल सरकार ने बताया कि जिस तरह से तेंदुए ने महिला को नोंच खाया है, उससे लगता है कि वह पूर्णवयस्क तेंदुआ है. शायद बाद में इत्मीनान से खाने के लिए तेंदुए ने शव को मिट्टी से ढक दिया था. बेंतगुड़ी चाय बागान के श्रमिक नसीब उरांव ने बताया कि महिला के दाहिने पैर का काफी हिस्सा नोंच खाया गया है. पेट व सीना भी क्षत-विक्षत है. इस डर से कोई अब बागान में काम के लिये जाना नहीं चाहता है. तेदुआ इंसान को मारकर खा सकता है यह सोचकर ही रोयां सिहर जाता है. एक अन्य श्रमिक जगनू पांडेय ने बताया कि घटनास्थल को देखने से लगता है कि महिला के शव को मारकर तेंदुआ चाय बागान के भीतर ले गया था.
चाय बागान के मैनेजर शंकर सरकार ने बताया कि इसके पहले 2007 में इसी चाय बागान में तेंदुए ने दो शिशुओं को नोंच खाया था. इस वजह से बागान श्रमिकों में खौफ कायम है. वन विभाग से तेंदुए को पकड़ने के लिये पिंजड़ा लगाने के लिये कहा गया है. इस घटना के बाद से उस रास्ते से स्कूली छात्र छात्राएं और श्रमिक जाने से घबरा रहे हैं. पश्चिमबंग वन्य प्राणी सलाहकार कमेटी के सदस्य जयदीप कुंडू ने बताया कि तेंदुओं में इस तरह की प्रवृत्ति हाल तक नहीं देखी गयी है. लेकिन इस घटना से लगता है कि उनके खान-पान में तब्दीली आ सकती है. इस तब्दीली का वैज्ञानिक अध्ययन जरूरी है.

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