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सांसद अहलूवालिया के विरोध में गोजमुमो ने की पोस्टरबाजी
दार्जिलिंग : दार्जिलिंग के सांसद व केंद्रीय मंत्री सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया के विरोध में गोजमुमो ने गुरुवार को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक पोस्टरबाजी की है. शहर के चौक बाजार के दीवारों पर चिपकाये गये पोस्ट में एसएस अहलूवालिया मुर्दाबाद लिखा गया है. ये पोस्टर नेपाली भाषा में लिखे गये हैं. चिपकाये गये पोस्टर […]
दार्जिलिंग : दार्जिलिंग के सांसद व केंद्रीय मंत्री सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया के विरोध में गोजमुमो ने गुरुवार को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक पोस्टरबाजी की है. शहर के चौक बाजार के दीवारों पर चिपकाये गये पोस्ट में एसएस अहलूवालिया मुर्दाबाद लिखा गया है. ये पोस्टर नेपाली भाषा में लिखे गये हैं. चिपकाये गये पोस्टर में दार्जिलिंग सांसद पर कई सवाल खड़े किये गये हैं.
जानकारी के अनुसार इधर गोजमुमो दार्जिलिंग महकमा समिति ने अपने कार्यालय में एक पत्रकार सम्मेलन आयोजित कर दार्जिलिंग सांसद एवं केंद्रीय मंत्री सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया के बयान पर सवाल खड़ा किया है. मोर्चा महकमा समिति के प्रवक्ता संदीप छेत्री ने पत्रकारों को संबोधित करते हुये कहा कि पिछले साल 2017 के आंदोलन के दौरान 104 दिनों तक पहाड़ बंद था. उस वक्त सांसद अहलूवालिया कहां थे. जब पहाड़ आंदोलन की आग में सुलग रहा था. आंदोलनकारी शहीद हो रहे थे. उस दौरान सांसद कहां थे.
उन्होंने कहा कि काफी प्रयास के बाद पहाड़ पर शांति लौटी है. परंतु इस शांति को भंग करने के लिये सांसद अब तरह-तरह के बयान दे रहे हैं, जो हमलोग पहाड़वासी कदापि बर्दाश्त नहीं करेंगे. सांसद अहलूवालिया ने गोर्खा समुदाय के 11 जाति गोष्ठियों को जनजाति का दर्जा देने की मांग की है. ये बातें पिछले 2014 से करते आ रहे हैं. लेकिन आज तक एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय और ज्ञापन देने तक ही सीमित रहा. लेकिन परिणाम शून्य ही रहा.
श्री छेत्री ने कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 29 अगस्त 2017 को आयोजित सर्वदलीय सभा में गोर्खालैंड राज्य का नहीं केन्द्र का विषय बता चुकी हैं. लेकिन केन्द्र की भाजपा सरकार गोर्खाओं की समस्या पर गम्भीर नहीं है. पिछले 2013 में केन्द्र में कांग्रेस की यूपीए सरकार थी और आंध्र प्रदेश में भी कांग्रेसी सरकार थी. जिसमें तेलंगाना राज्य का विरोध हो रहा था. परंतु कांग्रेस समर्थित यूपीए सरकार की इच्छा शक्ति के कारण तेलंगाना राज्य का गठन हुआ.
केन्द्र की भाजपा सरकार ने ऐसा क्यों नहीं किया. विमल गुरूंग के विरूद्ध 50 से अधिक मामले दर्ज हैं. जिसे बचाने के लिये उन्होंने सर्वोच्च न्यायलय में याचिका दायर किया था. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने विमल गुरूंग की याचिका को खारिज कर दिया है. उसी आरोपी को सांसद अहलूवालिया बचा रहे हैं.
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