दिव्यांगता को नहीं बनने दिया अभिशाप
मयनागुड़ी : 60 से अधिक उम्र के राजेन राय तीन साल पहले मोटरबाइक के चलते एक पैर गंवा चुके हैं. आर्थिक स्थिति नाजुक रहने के चलते वे अपना इलाज भी ठीक से नहीं करवा सके. हालांकि इस उम्र में शरीर से हीन होने के बावजूद राजेन राय ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने इन परिस्थितियों को […]
मयनागुड़ी : 60 से अधिक उम्र के राजेन राय तीन साल पहले मोटरबाइक के चलते एक पैर गंवा चुके हैं. आर्थिक स्थिति नाजुक रहने के चलते वे अपना इलाज भी ठीक से नहीं करवा सके. हालांकि इस उम्र में शरीर से हीन होने के बावजूद राजेन राय ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने इन परिस्थितियों को चुनौती के रुप में लिया.
उन्होंने रंग-बिरंगे धागों से तरह-तरह के खिलौने बनाना शुरु किया. इन खिलौनों को वे विभिन्न मेलों और हाट-बाजारों में जाकर बेचते हैं. इससे जो दो-चार पैसे मिलते हैं उससे राजेन का निर्वाह होता है. राजेन राय माल ब्लॉक अंतर्गत लाटागुड़ी ग्राम पंचायत के गोलाबाड़ी के निवासी हैं. उन्होंने बताया कि तीन साल पहले घर लौटने के दौरान लाटागुड़ी के क्रांति मोड़ पर एक मोटरबाइक के धक्के से उनका दाहिना पैर क्षतिग्रस्त हो गया. उसके बाद आर्थिक अभाव के चलते वे अपने पैर का इलाज समुचित तरीके से नहीं करा सके.
इसलिए उन्हें पैदल चलने में खासी परेशानी होती है. उसके बाद राजेन राय के सामने उनकी जीविका का सवाल खड़ा हो गया. उन्होंने तय किया कि वे रंगीन धागों से विभिन्न तरह के खिलौने बनायेंगे. उसी हिसाब से वे रात दिन इस काम में व्यस्त रहते हैं. खिलौने बनाकर वे विभिन्न मेलों में जाकर उन्हें बेचते हैं. सामने दुर्गा पूजा आ रही है. इसको लेकर वे खिलौने बनाने के काम में जुटे हुए हैं. वे लाठी की मदद से चलते हैं, लेकिन बहुत दूर तक जाने में उन्हें विशेष परेशानी होती है. तब भी जीने की चाह उन्हें मेलों तक खींच कर ले जाती है. इस तरह से राजेन राय लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं.