कैसे आकड़ा पूरा होगा 24 का

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर के चुनाव को लेकर एक बार फिर से यहां के लोगों में उत्सुकता का माहौल है. हर गली एवं मुहल्ले के चौराहों पर आम लोगों में मेयर के चुनाव को लेकर चर्चा की जा रही है. मेयर पद के लिए तरह-तरह के नामों पर लोग कयास लगा रहे हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 10, 2014 2:53 AM

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर के चुनाव को लेकर एक बार फिर से यहां के लोगों में उत्सुकता का माहौल है. हर गली एवं मुहल्ले के चौराहों पर आम लोगों में मेयर के चुनाव को लेकर चर्चा की जा रही है. मेयर पद के लिए तरह-तरह के नामों पर लोग कयास लगा रहे हैं.

लेकिन आखिरकार मेयर पद का चुनाव संभव होगा भी या नहीं, यह अभी तय नहीं है. राज्य सरकार के निर्देश पर सिलीगुड़ी नगर निगम के कमिश्नर सोनम वांग्दी भुटिया ने मेयर के चुनाव की सभी आवश्यक तैयारियां भले ही शुरू कर दी हो, लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि मेयर का चुनाव लड़ रहे दल 28 सीटों का जादुई आकड़ा लाएंगे कहां से. सिलीगुड़ी नगर निगम की जो वर्तमान स्थिति है उसके अनुसार वाम मोरचा के 18, तृणमूल कांग्रेस के 15 तथा कांग्रेस के 14 काउंसिलर हैं. 47 सदस्यीय सिलीगुड़ी नगर निगम में मेयर का चुनाव जीतने के लिए किसी भी पार्टी को 24 काउंसिलरों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी.

हालांकि अब की जो मेयर का चुनाव हो रहा है वह नियमानुसार दलीय आधार पर नहीं होगा. कोई भी काउंसिलर मेयर पद के लिए नामांकन दाखिल कर चुनाव लड़ सकता है. सभी दल के काउंसिलर मतदान में हिस्सा लेंगे. कहने को तो यह चुनाव दलीय आधार पर नहीं होगा, लेकिन कोई भी काउंसिलर अपनी पार्टी की नीतियों की उपेक्षा कर मेयर पद का चुनाव नहीं लड़ेगा. वाम मोरचा ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह नये मेयर के चुनाव के पक्ष में नहीं है. वाम मोरचा के कन्वेनर तथा माकपा नेता अशोक भट्टाचार्य का कहना है कि सिलीगुड़ी नगर निगम की वर्तमान समस्या का एकमात्र समाधान चुनाव है. उन्होंने कहा कि जब एक बार नगर निगम के बोर्ड को भंग कर दिया गया है तो फिर से मेयर के चुनाव का कोई औचित्य नहीं है. इसके अलावा किसी भी पार्टी को नगर निगम में बहुमत हासिल नहीं है. ऐसे में चुनाव के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी नगर निगम के मेयर पद का चुनाव लड़ने से साफ इंकार कर दिया है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि एक बार अपने ही बोर्ड के भंग कर देने के बाद फिर से मेयर पद का चुनाव लड़ना सही नहीं है. अब स्वाभाविक तौर पर लोगों के मन में एक प्रश्न उठ रहा है कि आखिर अगला विकल्प क्या होगा. 15 काउंसिलरों वाली तृणमूल कांग्रेस ने अब तक अपना पत्ता इस मामले में नहीं खोला है.

तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव फिर से कराने की मांग नहीं की है. इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने मेयर पद पर चुनाव लड़ने से इंकार भी नहीं किया है. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने इस संबंध में कहा है कि अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है और उचित समय पर इस मामले में सही फैसला लिया जायेगा. दूसरी तरफ विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तृणमूल कांग्रेस के नेता दूसरे दलों के काउंसिलरों के मन टटोलने में लगे हुए हैं. यही कारण है कि यह लोग इस मामले में खुलकर कुछ नहीं कह रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि मेयर पद के चुनाव में अभी भी करीब एक सप्ताह का वक्त है. अगर दूसरे दलों के काउंसिलर तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करते हैं तो हो सकता कि तृणमूल का कोई काउंसिलर मेयर का चुनाव लड़ने के लिए आगे आये. सूत्रों ने आगे बताया कि कई कांग्रेसी काउंसिलरों पर तृणमूल कांग्रेस की निगाहें टिकी हैं. इन काउंसिलरों से समर्थन की बातचीत की जा रही है. सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की दुगर्ति के बाद सिलीगुड़ी नगर निगम के तमाम कांग्रेसी काउंसिलर दहशत में हैं.

लोकसभा चुनाव के आंकड़े के अनुसार सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र के अधिकांश वार्डो में कांग्रेस तीसरे पायदान पर रही है. ऐसी स्थिति में कई काउंसिलर भी तृणमूल का दामन थामकर आने वाले नगर निगम चुनाव में अपनी नैया पार लगाना चाहते हैं. अगर कांग्रेसी काउंसिलर तृणमूल कांग्रेस के पाले में आ जाते हैं, तो 16 जून को सिलीगुड़ी नगर निगम में मेयर का चुनाव होना तय है. ऐसा नहीं होने की स्थिति में राज्य सरकार का अगला कदम क्या होगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अगर मेयर का चुनाव संपन्न नहीं होता है तो राज्य सरकार के पास प्रशासक की नियुक्ति के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा. प्रशासक की नियुक्ति अधिकतम छह महीने के लिए की जा सकती है. यहां उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी नगर निगम की मियाद भी इस वर्ष नवंबर में खत्म होना है.

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