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एक गांव ऐसा भी जहां घर में नहीं होती है लक्खी पूजा
कालियागंज : दुर्गा पूजा समाप्त हो गया है. अब लक्ष्मी पूजा (लक्खी) की धूम शुरु हो गई है. खासकर बंगाली समाज के लोग बड़े ही धूमधाम के साथ लक्खी पूजा करते हैं. हर घर में लक्खी पूजा का आयोजन किया जाता है, लेकिन उत्तर दिनाजपुर जिले में कालियागंज थाना अंतर्गत एक गांव ऐसा भी है, […]
कालियागंज : दुर्गा पूजा समाप्त हो गया है. अब लक्ष्मी पूजा (लक्खी) की धूम शुरु हो गई है. खासकर बंगाली समाज के लोग बड़े ही धूमधाम के साथ लक्खी पूजा करते हैं. हर घर में लक्खी पूजा का आयोजन किया जाता है, लेकिन उत्तर दिनाजपुर जिले में कालियागंज थाना अंतर्गत एक गांव ऐसा भी है, जहां किसी भी घर में लक्खी पूजा नहीं होती है.
इस गांव के लोग अपने-अपने घरों में लक्खी पूजा नहीं कर सार्वजनिक रुप से लक्खी पूजा का आयोजन करते हैं. दुर्गा पूजा के दशमी के बाद से ही पूर्व भंडारगांव के किसी भी घर में लोग मांस-मछली नहीं पकाते हैं. लक्खी पूजा के दिन तक सभी घरों में निरामिष भोजन बनता है. गांव वालों से मिली जानकारी के अनुसार करीब 23 साल पहले इस गांव के लक्खी पूजा के मौके पर बाउल उत्सव का आयोजन किया गया था.
उसी समय नरेन्द्र चन्द्र बर्मन जब अपने खेत में फसल लगा रहे थे तभी उन्हें जमीन के अंदर मां लक्ष्मी की पत्थर से बनी प्रतिमा मिली. गांव वालों ने उस प्रतिमा को एक मंदिर में स्थापित कर दिया और वहीं पूजा-पाठ शुरु कर दी. तब से लेकर अब तक इस गांव के लोग अपने-अपने घरों में लक्खी पूजा नहीं कर इस मंदिर में ही सार्वजनिक रूप से लक्खी पूजा करते हैं.
अब इस मंदिर की पहचान दूर-दूर तक बन गई है. बाहर से भी काफी संख्या में लोग यहां पूजा करने के लिए आते हैं. लक्खी पूजा के दिन हजारों की भीड़ यहां आती है. पूर्व भंडार गांव में उस दिन मेले सा नजारा रहता है. काफी दुकानें लग जाती हैं. दो दिनों तक चलने वाले मेले में पूरे गांव के लोग शामिल होते हैं.
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