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शिकारियों की खबर से गोरूमारा जंगल में हाई अलर्ट, भाग को मिली तीर-धनुष से लैस शिकारियों की अपुष्ट जानकारी

मयनागुड़ी/ मदारीहाट : कोजागरी लक्ष्मी पूजा की पूर्णिमा को लेकर वन विभाग का गोरूमारा रेंज भी अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है. पूर्णिमा के दौरान जंगल साफ साफ देखे जाने से वन्य प्राणियों पर खतरा बढ़ गया है. इसको लेकर वनकर्मियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. कुनकी हाथियों की मदद से गोरूमारा नेशनल पार्क […]

मयनागुड़ी/ मदारीहाट : कोजागरी लक्ष्मी पूजा की पूर्णिमा को लेकर वन विभाग का गोरूमारा रेंज भी अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है. पूर्णिमा के दौरान जंगल साफ साफ देखे जाने से वन्य प्राणियों पर खतरा बढ़ गया है. इसको लेकर वनकर्मियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. कुनकी हाथियों की मदद से गोरूमारा नेशनल पार्क के सुदूर हिस्सों पर भी निगरानी रखी जा रही है.
उल्लेखनीय है कि खुफिया विभाग ने खबर दी है कि नगालैंड और मणिपुर से एक गिरोह जलदापाड़ा नेशनल पार्क के लिये रवाना हो चुका है. उनका मकसद गैंडों का शिकार करना है. इस बीच खबर मिली है कि गोरूमारा और लाटागुड़ी के जंगल में कुछ संदिग्ध लोगों को तीर-धनुष के साथ देखा गया है. हालांकि इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है.
गोरूमारा वन्यप्राणी डिवजीन के एडीएफओ बादल देवनाथ ने मंगलवार को बताया कि पूर्णिमा की चांदनी रात में जंगल पूरी तरह स्पष्ट दिखायी पड़ता है. इसका लाभ शिकारी न उठा सकें इसके लिये हरसंभव उपाय किये जा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2017 में शिकारी गोरूमारा के दो गैंडों को मारकर उनके सींग काटकर ले गये थे. उसके बाद से ही वन विभाग अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है.
रामसाई और जोड़ा बांध इलाके में दो नये नजर मीनार बनाये गये हैं. इलेक्ट्रॉनिक सर्विलेंस पर भी जोर दिया जा रहा है. दिन रात गश्त लगायी जा रही है. एडीएफओ ने बताया कि तीर-धनुष लेकर कुछ लोगों के देखे जाने की जानकारी है लेकिन उनका पता नहीं चल पाया है. जंगल में नाका चेकिंग चल रही है. इस काम में पुलिस और प्रशासन का सहयोग लिया जा रहा है.रिसॉर्ट व्यवसायियों की भी मदद ली जा रही है.
वन्य प्राणियों का शिकार करने के लिए पूर्वोत्तर के राज्यों से एक पांच सदस्यीय गिरोह जलदापाड़ा अभयारण्य के लिये रवाना हो चुका है. खुफिया विभाग की इस जानकारी के बाद से वन विभाग में हड़कंप है. उसने संभावित खतरे से निपटने के लिए जलदापाड़ा में चेकिंग शुरू कर दी है. यहां तक कि सैर के लिए आये पर्यटकों की भी तलाशी ली जा रही है. इससे पर्यटकों को थोड़ी बहुत असुविधा हो रही है, लेकिन हालात की नजाकत को देखते हुए वन विभाग को ऐसा करना पड़ रहा है.
उल्लेखनीय है कि खुफिया सूत्रों ने जानकारी दी है कि नगालैंड और मणिपुर से पांच सदस्यीय एक प्रशिक्षित गिरोह जलदापाड़ा के लिये चल दिया है. इस गिरोह का मकसद जलदापाड़ा में पाये जाने वाले एक सींग वाले गैंडे का शिकार करना है. इस खबर के बाद से वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर कनिष्ठ अधिकारियों के माथे पर बल पड़ गये हैं. वनकर्मियों की संख्या बढ़ाकर गश्त तेज कर दी गयी है.
जलदापाड़ा नेशनल पार्क संलग्न वनबस्तियों और गांवों में आने जाने वालों पर निगरानी रखी जा रही है. खासतौर पर अजनबियों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है. जंगल सफारी से लेकर सरकारी और गैरसरकारी टूरिस्ट लॉजों पर भी नजर रखी जा रही है. जलदापाड़ा से जंगल के रास्ते सालकुमारहाट जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मेटल डिटेक्टर और श्वान दस्ता के जरिये जांचा-परखा जा रहा है.
गौरतलब है कि एकमात्र जलदापाड़ा में ही एक सींगवाले गैंडे पाये जाते हैं. इसलिये शिकारियों की नजर इस अभयारण्य पर रहती है. वर्ष 2014-15 की गणना के अनुसार इस नेशनल पार्क में कुल 216 गैंडों की पहचान की गयी थी. इस बीच अगस्त 2015 तक शिकारियों ने आठ गैंडों का शिकार कर लिया था. उसके बाद ही वन विभाग ने इस घटना को गंभीरता से लेना शुरू किया है. उसके बाद अगस्त 2015 से लेकर 5 फरवरी 2018 के बीच केवल कोदालबस्ती रेंज के एक गैंडे का शिकार किया जा सका.

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