सैलानियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं गाजोलडोबा, काम पूरा होने पर और बढ़ेगी भोरेर आलो की चमक

सिलीगुड़ी : पर्यटन क्षेत्र में उत्तर बंगाल काफी संभावनामय है जहां पर्वतों, जंगलों और नदियों की त्रिवेणी बहती है. इसके अप्रतिम सौंदर्य को देखकर ही संभवतया मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सपना इस क्षेत्र को भारत का स्विजरलैंड बनाने का रहा है तो इसमें सच्चाई भी है. गाजोलडोबा दरअसल, एक गांव का नाम है जहां तीस्ता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2018 1:18 AM
सिलीगुड़ी : पर्यटन क्षेत्र में उत्तर बंगाल काफी संभावनामय है जहां पर्वतों, जंगलों और नदियों की त्रिवेणी बहती है. इसके अप्रतिम सौंदर्य को देखकर ही संभवतया मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सपना इस क्षेत्र को भारत का स्विजरलैंड बनाने का रहा है तो इसमें सच्चाई भी है.
गाजोलडोबा दरअसल, एक गांव का नाम है जहां तीस्ता नदी अपने संपूर्ण विस्तार में प्रवाहित होती है. पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत ज्योति बसु ने मूल रुप से यहां सिंचाई की संभावना को देखते हुए तीस्ता बैरेज की आधारशिला 19 जनवरी 1987 को रखी थी. उस समय की परिस्थितियों के मद्देनजर शायद कल्पना नहीं की जा सकी होगी कि यह जगह पर्यटन के लिहाज से भी बेहद आकर्षक और व्यावसायिक रुप से लाभदायक साबित होगी.
यह दृष्टि सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की थी कि उन्होंने ‘ भोरेर आलो ‘ नाम से इस मेगा ईको-टूरिज्म हब को एक रुप देना चाहा है. करीब 208 एकड़ में फैली यह महत्वाकांक्षी परियोजना हालांकि फिलहाल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर एक याचिका के चलते लंबित है लेकिन इसकी संभावनाओं को लेकर किसी को शक नहीं होना चाहिये. इस जगह की प्राकृतिक बनावट और भौगोलिक अवस्थान को देखते हुए यह उत्तर बंगाल का सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल बन सकता है.
उल्लेखनीय है कि गाजोलडोबा स्थित तीस्ता बैरेज की सड़क उत्तर बंगाल के तराई क्षेत्र को पूरब के डुवार्स के प्रमुख पर्यटन स्थलों को जोड़ती है. डुवार्स में गोरुमारा नेशनल पार्क से लेकर जलदापाड़ा अभयारण्य और चापड़ामारी वनांचल पर्यटकों के लिये हमेशा से पसंदीदा जगह रही हैं जहां वे अपने अवकाश बिताना पसंद करते हैं.
इस लिहाज से गाजोलडोबा एक महत्वपूर्ण लिंक का काम कर सकता है. सिलीगुड़ी से करीब 25 किमी की दूरी पर स्थित गाजोलडोबा परियोजना तीस्ता बैरेज और बैकुंठपुर फॉरेस्ट के बीच अवस्थित है. इसे सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की सहभागिता से विकसित किया जाना है. इस परियोजना में लेक प्लाजा, आयुर्वेदिक स्पा विलेज, ईको-लेक रिसॉर्ट, विनोदन पार्क और गोल्फ कोर्स और गोल्फ एकेडमी शामिल है.
फिलहाल इस परियोजना को लेकर एक बाजार चालू हो गया है जहां पर्यटक हाट-बाजार से लेकर भोजन आदि की खरीदारी करते हैं. परियोजना का अभी तक केवल मुश्किल से 20 प्रतिशत भी काम नहीं हुआ है. लेकिन अगर यह परियोजना पूरा हो जाती है तो इसकी मुकम्मल तस्वीर बेहद आकर्षक और भव्य होगी इसमें संदेह नहीं है.

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