भगत सिंह को जाति-धर्म के बंधन में बांधना उचित नहीं

रानीगंज : आसनसोल के बीएनआर मोड़ में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा के साथ खांडा लगाकर उन्हें सिख साबित करने संबंधी विषय को लेकर रानीगंज के शिक्षाविदों ने अपनी प्रतिक्रियाएं देते हुये कहा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह नास्तिक थे. उन्हें किसी भी जाति-धर्म में बांध के रखना उचित नहीं है. रानीगंज त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2018 12:08 AM
रानीगंज : आसनसोल के बीएनआर मोड़ में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा के साथ खांडा लगाकर उन्हें सिख साबित करने संबंधी विषय को लेकर रानीगंज के शिक्षाविदों ने अपनी प्रतिक्रियाएं देते हुये कहा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह नास्तिक थे. उन्हें किसी भी जाति-धर्म में बांध के रखना उचित नहीं है.
रानीगंज त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ डीपी बरनवाल ने कहा कि भगत सिंह एक सच्चे देशभक्त थे. उन्हें किसी कौम से जोड़ना ठीक नहीं है. भगत सिंह ने देश के लिये खुद का बलिदान किया था. इनको जाति-धर्म में बांटना उचित नहीं है. वह राष्ट्र, त्याग व बलिदान के प्रतीक है. महामानव के रूप में जाने जाते हैं.
रानीगंज मारवाड़ी सनातन विद्यालय के पूर्व हिंदी शिक्षक डॉ रविशंकर सिंह ने कहा कि भगत सिंह सबसे पहले क्रांतिकारी थे. क्रांतिकारी का अर्थ परिवर्तन होता है.
उन्होंने आजादी के अलावा जाति-धर्म अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. उनका जन्म आर्य परिवार में हुआ था. उनके पिताजी रूढिवादी नहीं थे लेकिन धार्मिक थे. भगत सिंह की शिक्षा दीक्षा डीएवी स्कूल में हुई. इसलिये आर्य समाजियों के अलावा वे गायत्री मंत्र का जाप किया करते थे. किंतु कालांतर में उन्होंने अपने लंबे केश तथा दाढ़ी कटवा लिये थे.
सतीश चंद सान्याल के संपर्क में आने के पश्चात वे पूर्ण रूप से नास्तिक हो गये थे. अंतिम समय तक वे धर्म से नहीं जुड़े. उन्हें धर्म से जोड़ना न्याय संगत नहीं है. रानीगंज शहीद यादगार समिति के सचिव हरिशंकर तिवारी ने कहा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह किसी धर्म के प्रतीक नहीं है. भगत सिंह स्वयं को नास्तिक बताते थे.
भगत सिंह जब जेल में थे और उन्हें जब फांसी होने वाली थी, तो जेल के एक अधिकारी ने सिख होने के कारण उन्हें उनसे कहा कि भगतसिंह अब तो वाहेगुरु कह लो लेकिन उन्होंने कहा कि जिंदगी भर किसी धर्म को ना मानने वाला भगत सिंह अगर अंतिम समय में धर्म की शरण लेगा तो लोग उसे बुजदिल कहेंगे. भगत सिंह को किसी किसी धर्मसे जोड़ना कतई ठीक नहीं है.

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