सिलीगुड़ी : भारतीय सेना के थे महानंदा कैनाल से मिले मोर्टार शेल!
सिलीगुड़ी : भारत-बांग्लादेश सीमा से गुजरनेवाली कैनाल में चार मोर्टार शेल कहां से आये, यह रहस्य अब भी बरकरार है. दार्जिलिंग जिला पुलिस से लेकर विभिन्न सुरक्षा बलों की खुफिया एजेंसियां इसकी छानबीन में जुटी हैं. हालांकि इस बीच कुछ विश्वस्त सूत्रों ने दावा किया है कि बरामद मोर्टार शेल भारतीय सेना के हैं. शेल […]
सिलीगुड़ी : भारत-बांग्लादेश सीमा से गुजरनेवाली कैनाल में चार मोर्टार शेल कहां से आये, यह रहस्य अब भी बरकरार है. दार्जिलिंग जिला पुलिस से लेकर विभिन्न सुरक्षा बलों की खुफिया एजेंसियां इसकी छानबीन में जुटी हैं. हालांकि इस बीच कुछ विश्वस्त सूत्रों ने दावा किया है कि बरामद मोर्टार शेल भारतीय सेना के हैं.
शेल पर दर्ज ब्योरे और कोड से यह पता चला है. बता दें कि गत 22 नवंबर को सिलीगुड़ी से सटे फांसीदेवा के निजबाड़ी इलाके से महानंदा कैनाल में चार मोर्टार शेल पड़े मिले थे. अगले दिन इसे भारतीय सेना ने कैनाल के किनारे ही विस्फोट करके निष्क्रिय कर दिया था.
घटना के एक सप्ताह बाद भी इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया है कि कैनाल में मोर्टार शेल कैसे पहुंचे.
जांच जारी होने की बात कहकर सभी एजेंसियां सवालों को टाल रही हैं. जहां से मोर्टार शेल बरामद हुए थे, वहां से बांग्लादेश सीमा की दूरी मात्र तीन किलोमीटर है.
सूत्रों के मुताबिक, बरामद मोर्टार शेल 81 एमएम के और उच्च विस्फोटक (एचई सी) किस्म के थे. ये पांच किलोमीटर दूर तक मार कर सकते हैं. इन्हें लांचर के जरिये दागा जाता है. इसका उपयोग सीमापार से गोलाबारी या युद्ध में किया जाता है. यह मोर्टार शेल टारगेट एरिया के एक किलोमीटर के दायरे में नुकसान पहुंचाने में सक्षम है.
इस मामले की दार्जिलिंग जिला पुलिस के अलावा भारतीय सेना, बीएसएफ, एसएसबी की खुफिया शाखा व अन्य एजेंसियां भी अपने-अपने स्तर पर जांच कर रहे हैं. लेकिन कोई भी एजेंसी मामले को लेकर मुंह नहीं खोल रही है. सूत्रों ने बताया कि जिस तरह का मोर्टार शेल मिला है, उसका इस्तेमाल पड़ोसी देश बांग्लादेश की सेना या सीमा रक्षक वाहिनी नहीं करती है.
वहां ऐसे मोर्टार शेल का निर्माण भी नहीं होता है. एक सूत्र ने दावा किया कि बरामद मोर्टार शेल पर दर्ज ब्योरे के अनुसार यह भारत में निर्मित है. भारतीय सेना इस प्रकार के मोर्टार शेल का प्रयोग भी करती है. इसका इस्तेमाल ज्यादातर भारत-पाकिस्तान सीमा पर होता है.
सुरक्षा बल से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि बरामद मोर्टार शेल भारतीय सेना का ही है.
अब यह पताया लगाया जाना है कि सेना की किस बटालियन से ये मोर्टार शेल कैनाल तक पहुंचे और इसके पीछे क्या मकसद था. दार्जिलिंग जिला पुलिस अधीक्षक अखिलेश चतुर्वेदी ने मोर्टार शेल पर पड़े कोड के बारे में पूछे जाने पर कहा कि सबकुछ हर किसी को नहीं बताया जा सकता. पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है.