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नहीं थम रहा गजराजों का आतंक, डुआर्स में 400 हाथियों के झुंड ने मचाया उत्पात

मयनागुड़ी : हाथियों के हमलों से वनबस्ती के अलावा वन विभाग के उच्च अधिकारी भी चिंतित हैं. इसलिये उन्होंने हाथियों के उपद्रव से ग्रामीणों को निजात दिलाने के लिए कई उपाये शुरू करने का निर्णय लिया है. शनिवार को वन विभाग के बिचाडांगा साउथ रेंज में यह बैठक हुई. इस बैठक में लिये गये निर्णय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2018 6:32 AM
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मयनागुड़ी : हाथियों के हमलों से वनबस्ती के अलावा वन विभाग के उच्च अधिकारी भी चिंतित हैं. इसलिये उन्होंने हाथियों के उपद्रव से ग्रामीणों को निजात दिलाने के लिए कई उपाये शुरू करने का निर्णय लिया है. शनिवार को वन विभाग के बिचाडांगा साउथ रेंज में यह बैठक हुई. इस बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार वनकर्मियों और वाहनों की कमी के मद्देनजर वनबस्तीवासियों को भी हाथी खदेड़ने के काम में सहभागी बनाया जायेगा.
इसके अलावा बस्तीवासियों को सर्चलाइट व अन्य जरूरी सामग्री दी जायेगी. साथ ही विभिन्न रेंज के वनकर्मियों को अलग अलग छोटे समूहों में विभाजित किया गया है ताकि वे ग्रामीणों के सहयोग से हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ सकें. बैठक में वनपाल उज्ज्वल घोष के अलावा गोरुमारा वन्य प्राणी डिवीजन की डीएफओ निशा गोस्वामी, एडीएफओ राजू सरकार की मुख्य रुप से उपस्थिति रही.
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार की रात को वन विभाग के बिचाडांगा रेंज के वनकर्मी हाथियों को खदेड़ने बिचाडांगा वनबस्ती और सरस्वती वनबस्ती गये थे. चूंकि दोनों जगह एक ही साथ हाथियों के झुंड घुसे थे. लेकिन हाथियों को खदेड़ने के लिये उनकी संख्या पर्याप्त नहीं होने से उन्हें बीच में ही वापस आना पड़ा था. वहीं, स्थानीय ग्रामीणों ने हाथों में मशाल लेकर अपने ही बूते पर हाथियों को जंगल की तरफ जाने के लिये मजबूर कर दिया था.
इससे वन विभाग को लग रहा है कि वनबस्ती के लोग हाथियों को खदेड़ने में मददगार हो सकते हैं. वन विभाग के उत्तर बंगाल जोन के वनपाल उज्ज्वल घोष ने बताया कि इस मौसम में धान की पकी फसलों के चलते हाथियों का उपद्रव बढ़ जाता है. वहीं, वनकर्मियों की संख्या कम होने के चलते उन्हें छोटे छोटे समूहों में बंटकर हाथियों को खदेड़ने की मुहिम चलाने के लिये कहा गया है.
उल्लेखनीय है कि गोरुमारा वन्य प्राणी डिवीजन अंतर्गत माल एलीफेंट स्क्वाड, बिचाडांगा रेंज, रामसाई एलीफेंट स्क्वाड और खूनिया स्क्वाड हैं. इन इलाकों के अलावा बिन्नागुड़ी स्क्वाड के वनकर्मियों की उक्त विशेष बैठक में उपस्थिति रही.

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