करला नदी के उद्गम पर शिलापट्ट लगाने को घमासान, बंगीय भूगोल मंच ने जतायी नाराजगी
जलपाईगुड़ी : करला नदी के उद्गम स्थल पर खोज करने वाले के तौर पर विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति मलय मुखर्जी की ओर से 26 जनवरी को शिलापट्ट लगाया जायेगा. इसकी खबर फैलते ही बंगीय भूगोल मंच ने नाराजगी जतायी है. मलय मुखर्जी का दावा है कि उन्होंने इससे पहले भी कई नदी के उद्गम पर […]
जलपाईगुड़ी : करला नदी के उद्गम स्थल पर खोज करने वाले के तौर पर विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति मलय मुखर्जी की ओर से 26 जनवरी को शिलापट्ट लगाया जायेगा. इसकी खबर फैलते ही बंगीय भूगोल मंच ने नाराजगी जतायी है.
मलय मुखर्जी का दावा है कि उन्होंने इससे पहले भी कई नदी के उद्गम पर शिलापट्ट बैठाया है. लेकिन बंगीय भूगोल मंच का दावा है कि अभयारण्य के भीतर शिलापट्ट लगाने का श्रेय मलय मुखर्जी नहीं ले सकते हैं. क्योंकि बंगीय भूगोल मंच ने करला का उद्गम खोजा व समीक्षा किया है.
विश्वभारती विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के प्रोफेसर व पर्यावरणविद मलय मुखर्जी ने फोन पर बताया कि करला नदी के उद्गम को चिह्नित करने के लिए शिलापट्ट लगाया जायेगा. इसमें स्थानीय पंचायत एवं महानंदा अभयारण्य या दार्जिलिंग वन्यप्राणी विभाग का नाम लिखा रहेगा. शिलापट्टा बैठाने से लोग इसके बारे में जान पायेंगे व इसे पर्यटन क्षेत्र के तौर पर सजाया जा सकता है.
वहीं बंगीय भूगोल मंच के उपमहासचिव जातिश्वर भारती का आरोप है कि 2008 के अप्रैल महीने में मंच की ओर से करला नदी का उद्गम खोजा गया था. इस टीम में मलय मुखर्जी भी थे. इसके बाद 2017 साल के 28-29 जनवरी को फिर उद्गम स्थल को खोजा गया.
उनका कहना है कि यह महानंदा अभयारण्य का कोर इलाका है. वहां पर्यटकों के आवाजाही से वन्यप्राणियों को परेशानी होगी. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अपनी कीर्ती जाहिर करने के लिए शिलापट्ट लगाने से ज्यादा जरुरी करला नदी को प्रदूषित होने से रोकना है.