नागराकाटा : प्रखंड के छाड़टंडू बस्ती की बालूखोला नदी पर सिंचाई विभाग एक नयी पद्धति वाले अमेरिकी बांध का निर्माण कर रहा है. जियो-सिंथेटिक री-इनफोर्समेंट पद्धति में बोल्डर व तार की जरूरत नहीं पड़ती है. गुरुवार को यह जानकारी जलपाईगुड़ी जिला सिंचाई विभाग के कार्यकारी इंजीनियर जशोप्रकाश पांडेय ने दी है.
उन्होंने बताया कि पॉली-प्रोपलिन नामक एक रासायनिक पदार्थ से तैयार बैग में नदी या किसी अन्य जमीन की मिट्टी डालकर बांध तैयार किया जा रहा है. इस बैग की बनावट ऐसी है कि मिट्टी की भराई के बाद बांध नदी की ढाल के जैसे हूबहू हो जाता है. उसके बाद बैगों पर मिट्टी का लेप चढ़ा दिया जाता है जिससे उसपर घास उग आती है.
बाद में यह प्राकृतिक बांध की तरह दिखायी पड़ता है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में पहली बार अलीपुरद्वार जिले के जलदापाड़ा नेशनल पार्क की शीशामारी नदी में इसी तरीके से 1100 मीटर लंबा बांध बनाया गया था. उस बांध की सफलता के बाद सिंचाई विभाग ने यहां बांध बना रहा है. उल्लेखनीय है कि छाड़टंडू बस्ती की बालूखोला नदी पर 600 मीटर बांध बन रहा है.
नदी कटाव के चलते यहां इलाके की सड़क समेत बहुत सी आवासीय और कृषि जमीन नदी में समा गयी है. इस बांध की खासियत है कि इसमें बोल्डर की जरूरत नहीं पड़ती. अक्सर बोल्डर की चोरी हो जाती है. उसके अलावा नदियों से बोल्डर निकालने पर कानूनी प्रतिबंध भी एक बड़ी समस्या है.
तृणमूल के कृषक संगठन के अध्यक्ष और स्थानीय निवासी सफियार रहमान सरकार ने बताया कि एक समय था कि यहां तार का बांध था. नदी की बाढ़ उसे बहा ले गयी है. वर्तमान बांध के बनने से बर्मनपाड़ा, मेचबस्ती, दक्षिण छाड़टंडू, गोटबस्ती जैसे इलाकों के निवासी अब निश्चिंत होकर रात को सो सकेंगे.