11 जातियों पर अपने मंत्रालय के रुख का जवाब दें पीएम

केंद्रीय जनजाति मंत्रालय से मिले आरटीआइ के जवाब का दिया हवाला विनय का आरोप ­ भारतीय गोरखाओं की नागरिकता पर प्रश्नचिह्न लगा रही केंद्र सरकार दार्जिलिंग : गोरखा समुदाय की 11 जातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने से नेपाल से घुसपैठियों (अवैध आप्रवासियों) की संख्या बढ़ने की बात केंद्रीय जनजाति मंत्रालय कह रहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2019 12:58 AM

केंद्रीय जनजाति मंत्रालय से मिले आरटीआइ के जवाब का दिया हवाला

विनय का आरोप ­ भारतीय गोरखाओं की नागरिकता पर प्रश्नचिह्न लगा रही केंद्र सरकार
दार्जिलिंग : गोरखा समुदाय की 11 जातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने से नेपाल से घुसपैठियों (अवैध आप्रवासियों) की संख्या बढ़ने की बात केंद्रीय जनजाति मंत्रालय कह रहा है. यह कहना है गोजमुमो अध्यक्ष विनय तामांग का. एक आरटीआइ जवाब के हवाले से उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा मंत्रालय इससे सिक्किम में वहां के मूलवासियों जैसे लेप्चा व भूटिया का हक मारे जाने का तर्क दे रहा है. श्री तामांग ने इसे भारतीय गोरखाओं की नागरिकता पर प्रश्नचिह्न लगाने की कोशिश बताते हुए इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा से अपना रुख साफ करने को कहा है.
शनिवार को एक प्रेस विज्ञाप्ति जारी करके विनय तामांग ने कहा कि गोरखा समुदाय की राई, थामी, खस, नेवार, जोगी, देवान, सुनवार, गुरूंग, मंगर, भुजेल और धिमाल जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग की जा रही है. साल 2016 की एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन 11 जातियों का नाम लेते हुए उन्हें अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की बात कही थी, लेकिन अब केंद्र सरकार उलटा रवैया अपना रही है. उसके जनजाति मंत्रालय की ओर से कहा जा रहा है कि अगर इन 11 जातियों को जनजाति में शामिल किया गया तो नेपाल से देश में घुसपैठियों की संख्या बढ़ सकती है. विनय तामांग ने कहा कि कुछ दिनों पहले एक आरटीआई आवेदन के जवाब में जनजाति मंत्रालय की ओर से यह जवाब दिया गया है.
श्री तामांग ने कहा कि केंद्र के इस जवाब से भारतीय गोरखाओं की नागरिकता पर प्रश्न खड़ा हो रहा है. इसी तरह के आरोपों से सुरक्षा के लिए गोरखाओं ने भाजपा को दो-दो बार दार्जिलिंग से सांसद दिया और भाजपा के साथ खड़े रहे. लेकिन अब उसी भाजपा की सरकार अलग रंग दिखा रही है. उन्होंने कहा कि आरटीआइ आवेदन के जवाब में यह भी कहा गया है कि उक्त 11 जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने से सिक्किम के मूलवासियों को भी समस्या होगी. लेप्चा, भूटिया आदि जातियों को इससे नुकसान होने और सहूलियत से वंचित होने की बात कही गयी है.
विनय तामांग ने कि अपने मंत्रालय के इस रुख पर अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जवाब देना होगा. गोरखाओं को घुसपैठिया बताने पर भाजपा को अपना रुख स्पष्ट करना होगा. उन्होंने कहा कि संसद के मौजूदा बजट अधिवेशन में उक्त 11 जातियों को जनजाति का दर्जा देनेवाला विधेयक पेश करने की बात कही गयी थी, लेकिन आगामी 13 फरवरी को बजट सत्र समाप्त होने जा रहा है और ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा.

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