दार्जिलिंग : पहाड़ में गणतंत्र स्थापित करने के लिए एकजुट होना होगा : राई
दार्जिलिंग : पहाड़ में गणतंत्र की बात करने वालों को मुंह पर पट्टी बांधकर मारा जा रहा है. उक्त आरोप क्रामाकपा के केंद्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद आरवी राई ने लगायी. स्थानीय गोरखा दुख निवारक सम्मेलन भवन के लाइब्रेरी हॉल सोमवार को क्रामाकपा ने एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. क्रामाकपा ने उक्त संगोष्ठी का […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
February 13, 2019 12:55 AM
दार्जिलिंग : पहाड़ में गणतंत्र की बात करने वालों को मुंह पर पट्टी बांधकर मारा जा रहा है. उक्त आरोप क्रामाकपा के केंद्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद आरवी राई ने लगायी. स्थानीय गोरखा दुख निवारक सम्मेलन भवन के लाइब्रेरी हॉल सोमवार को क्रामाकपा ने एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. क्रामाकपा ने उक्त संगोष्ठी का नाम गणतंत्र की पुर्नबहाली और छीन गया मौलिक अधिकार का रक्षार्थ दिया था.
आयोजित संगोष्ठी में जन आन्दोलन पार्टी के अध्यक्ष डॉ. हर्क बहादुर छेत्री, माकपा के वरिष्ठ नेता जीवेश सरकार, गोरामुमो से किशोर गुरूंग, गोर्खालीग से लक्ष्मण प्रधान, गोर्खा राष्ट्रीय कांग्रेस से सुबोध पाख्ररिन, सिक्किम दार्जिलिंग एकीकरण मंच से शंखरहांग सुब्बा, हिल कांग्रेस से दिलीप प्रधान, गोजमुमो विमल गुट के उपाध्यक्ष आरपी वाइबा, अभिजीत मजुमदार, ऋ षिका छेत्री आदि खासतौर उपस्थित रहे.
आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुये क्रामाकपा अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद आरवी राई ने दार्जिलिंग पहाड़ में गणतंत्र नहीं होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पहाड़ में गणतंत्र की बात करने वालों के मुंह पर पट्टी बांधकर मारने का कार्य किया जा रहा है. अध्यक्ष श्री राई ने अंग्रेजों के शासनकाल का जिक्र करते हुये कहा कि अंग्रेज शासनकाल के दौरान अंग्रेजों के पास सबकुछ था. प्रशासन से लेकर पुलिस, लेकिन महत्मा गांधी की आवाज से जनता जाग गया. जिसके कारण सौ साल तक शासन करने वाले अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा था. उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग का चाय विश्व प्रसिद्ध है.
लेकिन इस विश्व प्रसिद्ध चाय को उत्पादित करने वाले श्रमिकों का पगार वर्तमान महंगाई की तुलना में काफी कम है. इसलिये श्रमिकों के मजदूरी को वर्तमान मंहगाई को देखते हुये वृद्वि करने की मांग की गयी. वेतन वृद्धि की मांग करने वालों को विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है. यह कहां तक न्याय है?
उन्होंने कहा कि इस वक्त पहाड़ के सभी राजनीतिक दलों को अपना सबकुछ भूलकर गणतंत्र के बहाली की मांग को लेकर एकबद्ध होना होगा. गणतंत्र यहां के शोषित, दलित और कमजोर लोगों के लिये है. परंतु पहाड़ में गणतंत्र नहीं है. उन्होंने कहा कि गणतन्त्र की बहाली के लिये सभी लोगों से एकजुट होने का आह्वान किया.
वहीं जाप अध्यक्ष डॉ. हर्क बहादुर छेत्री ने गोजमुमो विनय गुट का नाम लिये बगैर कहा कि पहाड़ के कुछ राजनीतिक दलों की ओर से विगत दिनों का आंदोलन को नेतृत्वगणों के गलत नीति के कारण विफल होने का आरोप लगाया जा रहा है. लेकिन उक्त आंदोलन में हमलोगों ने सरकार के समक्ष बात रखने में समक्ष नहीं हुआ होगा.
जिसके कारण सरकार ने हमारी मांगों को लेकर नजरअंदाज किया. लेकिन अब होने वाला आंदोलन वीर बहादुर बनकर नहीं, बल्कि अकल बहादुर बनकर करना होगा. विगत के चुनावों में दिल्ली और कोलकाता के नेतागण पहाड़ आते थे. परंतु हमारी अनेकता कारण दिल्ली और कोलकाता के नेताओं की ओर से हमलोगों को नजरअंदाज किया जा रहा है.
इसलिये हमलोग एक होकर फिर दिल्ली और कोलकाता को पहाड़ आने के लिये एकजुट होना होगा. इसी तरह के संगोष्ठी को निरंतर रूप में होना जरूरी है. आगामी दिनों में जन आंदोलन पार्टी ने कालिम्पोंग में भी संगोष्ठी का आयोजन करेगा. उक्त संगोष्ठी में पहाड़ के सभी राजनैतिक दलों को आमंत्रित किया है.
इसी तरह माकपा नेता जीवेश सरकार ने कहा कि दार्जिलिंग पहाड़ विभिन्न फूलों से सजा हुआ फुलबाड़ी है. इस फुलबारी को तहस-नहस करने का कार्य किया जा रहा है. पहाड़ के अनेकता में एकता होना जरूरी बताते हुये पहाड़ के राजनैतिक दलों की ओर से माकपा के पास जो प्रस्ताव रखेंगे, उसको स्वीकार करने किया जायेगा.