जीटीए का भविष्य अधर में
सिलीगुड़ी: राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार और पहाड़ पर गोजमुमो के बीच जारी तनाव का असर गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के काम-काज पर दिखने लगा है. गोजमुमो नेताओं की बढ़ती दूरी ने जीटीए के भविष्य पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है. कल गोजमुमो सुप्रीमो तथा जीटीए के चीफ बिमल गुरूंग ने जीटीए के मुद्दे […]
सिलीगुड़ी: राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार और पहाड़ पर गोजमुमो के बीच जारी तनाव का असर गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के काम-काज पर दिखने लगा है. गोजमुमो नेताओं की बढ़ती दूरी ने जीटीए के भविष्य पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है. कल गोजमुमो सुप्रीमो तथा जीटीए के चीफ बिमल गुरूंग ने जीटीए के मुद्दे पर दाजिर्लिंग के सांसद एसएस अहलुवालिया के साथ एक बैठक की थी.
इस बैठक में जीटीए के सभी चुने हुए 45 सदस्य उपस्थित थे. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बैठक में बिमल गुरूंग ने जीटीए के अस्तित्व पर सवाल उठाया और इसको आगे चलाने में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखायी. सूत्रों ने इस संबंध में बताया है कि बिमल गुरूंग ने राज्य सरकार पर जीटीए समझौता तोड़ने का आरोप लगाते हुए एसएस अहलुवालिया से कहा है कि समझौते के विभिन्न प्रावधानों के तहत कई विभाग राज्य सरकार द्वारा जीटीए को हस्तांतरित करने की बात थी, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक कई विभागों को जीटीए को हस्तांतरित नहीं किया है.
इसके अलावा बिमल गुरूंग ने दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र में विकास कार्यो के लिए धन नहीं देने का आरोप भी राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर लगाया है. सूत्रों ने बताया कि बिमल गुरूंग ने राज्य सरकार पर असहयोग करने का आरोप लगाते हुए श्री अहलुवालिया को कहा कि धन की कमी के कारण विकास कार्य कर पाना संभव नहीं हो रहा है. उन्होंने एसएस अहलुवालिया से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की और कहा कि विभिन्न विभाग के हस्तांतरण के लिए राज्य सरकार पर दवाब बनायें. सूत्रों ने आगे बताया है कि बिमल गुरूंग ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी बातचीत करने की योजना बनाई है. उन्होंने श्री अहलुवालिया से प्रधानमंत्री के समक्ष इस मसले को उठाने का भी अनुरोध किया.
लोकसभा चुनाव से ही बढ़ी तल्खी
यहां उल्लेखनीय है कि हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा उम्मीदवार एसएस अहलुवालिया के समर्थन किये जाने के कारण ममता बनर्जी तथा गोजमुमो नेता बिमल गुरूंग के बीच तल्खी काफी बढ़ गई है. दाजिर्लिंग संसदीय क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार एसएस अहलुवालिया की जीत हुई है, जबकि तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार वाइचुंग भुटिया को हार का मुंह देखना पड़ा था. उसके बाद से लेकर अब तक ममता बनर्जी तथा बिमल गुरूंग के बीच समझौते के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. इसका असर आने वाले दिनों में जीटीए के संचालन पर पड़ने की संभावना है.