नागराकाटा : हौसले बुलंद हों तो शारीरिक अक्षमता भी आड़े नहीं
नागराकाटा : कहा जाता कि अगर हौसला बुलंद हो और खुद कुछ करने की इच्छा शक्ति हो तो हर चीज संभव है. उच्च माध्यमिक की परीक्षा में दिव्यांग छात्रा परीक्षार्थियों का हौसला भी देखते ही बनता है. एक बैशाखी के सहारे चलती है तो दूसरी ठीक से बातचीत भी नहीं कर पाती है. दोनों छात्रा […]
नागराकाटा : कहा जाता कि अगर हौसला बुलंद हो और खुद कुछ करने की इच्छा शक्ति हो तो हर चीज संभव है. उच्च माध्यमिक की परीक्षा में दिव्यांग छात्रा परीक्षार्थियों का हौसला भी देखते ही बनता है.
एक बैशाखी के सहारे चलती है तो दूसरी ठीक से बातचीत भी नहीं कर पाती है. दोनों छात्रा नागराकाटा ब्लॉक की बंद चाय बागान निवासी ससीना उरांव और लुकसान प्रधान नगर निवासी पूजा प्रधान हैं. दोनों लड़की नागराकाटा ब्लॉक के छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं. दोनों के शरीरिक रुप से कमजोर रहने के बावजूद उसे कमजोरी नहीं मानती हैं.
ससीना उरांव लुकसान के लाल बाहदुर शास्त्री स्मारक हिंदी-बंगला उच्च विद्यालय जबकि पूजा प्रधान बानारहाट बंगला उच्च बालिका विद्यालय की छात्रा है. ससीना एक बंद चाय बागान के श्रमिक परिवार की लड़की है. वहीं पूजा प्रधान का दास्तान ही कुछ और है. पूजा जब चार वर्ष की थी तभी उसके पिता उसे छोड़कर चले जाते हैं. उसके बाद मां भी उसे नानी के घर छोड़कर चली जाती हैं.
तभी से पूजा की देखभाल नाना कान्छा प्रधान और नानी कान्छी प्रधान कर रही हैं. शारीरिक अक्षमता के बावजूद पूजा ने स्कूल में अपना पढाई जारी रखा. पूजा ने वर्ष 2017 में माध्यमिक परीक्षा सफलतापूर्वक उर्तीण किया. उसके बाद बानारहाट उच्च बालिका विद्यालय में अध्ययन जारी रखते हुये इसबार उच्च माध्यमिक का परीक्षा दे रही हैं.
चलने में व बात करने में असुविधा होने के बावजूद घर से 17 किलोमीटर दूरी तय कर रोजना स्कूल जाने की बात नानी कान्छी प्रधान ने बताया. पूजा प्रधान का कहना है कि मैं आगे अपना अध्ययन जारी रखना चाहती हूं. अध्ययन समाप्त होने के बाद नौकरी प्राप्त कर अपनी नाना-नानी के देखभाल करने की इच्छा व्यक्त की. वहीं ससीना ने पढ़ लिखकर अपनी गरीब मां के लिए कुछ करने की इच्छा व्यक्त की. नागराकाटा प्रखंड अधिकारी स्मृता सुब्बा ने दोनों छात्राओं को अन्य छात्राओं के लिये प्रेरणास्त्रोत बताया.