बंद बागानों को खुलवाने की मांग
सिलीगुड़ी: पहले रायपुर और उसके बाद रेडबैंक चाय बागान में श्रमिकों की मौत के बाद अब तक चुप्पी साधे बैठे प्रशासनिक अधिकारियों की तत्परता बढ़ गई है. पिछले एक सप्ताह के दौरान रायपुर चाय बागान में 6 श्रमिकों की मौत हो गई थी. उसके बाद ही अन्य बंद पड़े चाय बागानों में भी श्रमिकों के […]
सिलीगुड़ी: पहले रायपुर और उसके बाद रेडबैंक चाय बागान में श्रमिकों की मौत के बाद अब तक चुप्पी साधे बैठे प्रशासनिक अधिकारियों की तत्परता बढ़ गई है. पिछले एक सप्ताह के दौरान रायपुर चाय बागान में 6 श्रमिकों की मौत हो गई थी.
उसके बाद ही अन्य बंद पड़े चाय बागानों में भी श्रमिकों के मौत की आशंका जाहिर की जा रही थी. अंतत: हुआ भी वैसा ही. कई सालों से बंद रेडबैंक चाय बागान में भी एक श्रमिक की मौत हो गई. वह काफी दिनों से बीमार था और उसके पास इलाज कराने के लिए पैसे नहीं थे. इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया. चाय बागान श्रमिकों की मौत के बाद दोनों चाय बागानों में प्रशासनिक अधिकारियों एवं विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के आने जाने का तांता लगा हुआ है. दोनों ही चाय बागानों में मेडिकल टीम की तैनाती की गई है, जो श्रमिकों का इलाज कर रहे हैं. इसके अलावा चाय बागान श्रमिकों के बीच राहत सामग्रियों का भी वितरण किया जा रहा है.
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने दोनों ही चाय बागानों में कैंप लगाया है. हर परिवार को 12 किलो कर चावल भी दिये गये हैं. इसके अलावा आज से ही मनरेगा के तहत एक सौ दिनों के रोजगार योजना की शुरू कर दी गई है. कोई काम नहीं मिलने से चाय बागान श्रमिक यूं ही बेकार बैठे हुए थे. दोनों ही बागान के कई लोगों को सौ दिनों के रोजगार गारंटी योजना के तहत काम पर लगाया गया है. इसके साथ ही राज्य स्वास्थ विभाग ने श्रमिकों की चिकित्सा को लेकर समीक्षा का काम शुरू कर दिया है. रेडबैंक चाय बागान में जलपाईगुड़ी जिले की सीएमओएच जगन्नाथ सरकार स्वयं इसकी निगरानी कर रहे हैं. घर-घर जाकर श्रमिकों तथा उनके परिवार के लोगों की स्वास्थ्य जांच की जा रही है. स्वास्थ्य जांच के आधार पर ही समीक्षा रिपोर्ट तैयार किया जायेगा.
पहले दिखायी होती तत्परता
चाय श्रमिकों तथा स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर पहले ही स्वास्थ्य अधिकारियों ने इतनी तत्परता दिखायी होती तो अकारण ही चाय श्रमिकों को मौत की नींद नहीं सोना पड़ता. कई स्वयंसेवी संगठनों ने डुवास के बंद पड़े सभी पांच चाय बागानों में नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित करने की मांग राज्य सरकार से की है. एक स्वयंसेवी संगठन के अध्यक्ष मनोहर कर्मकार का कहना है कि बंद पड़े सभी चाय बागान के श्रमिकों की स्थिति काफी खराब हो गई है. नियमित रूप से भोजन नहीं मिलने के कारण सभी लोग कुपोषण के शिकार हो गये हैं. कई श्रमिकों तथा उनके परिवार के लोगों को गंभीर बीमारी हो गई है. उन्होंने बंद पड़े सभी चाय बागानों के श्रमिकों एवं उनके परिवार के सदस्यों की चिकित्सा जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि यदि अभी से ही श्रमिकों की चिकित्सा जांच की जाए, तो बीमारी पकड़ में आ जायेगी और इलाज संभव हो सकेगा. यदि ऐसा नहीं होता है, तो आने वाले दिनों में और भी कई श्रमिकों की मौत हो सकती है.