तृणमूल व कांग्रेस की लड़ाई में भाजपा को मिली बढ़त
मालदा : तृणमूल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर मौसम नूर को पहले ही तृणमूल का जिलाध्यक्ष मनोनीत किया गया होता तो पार्टी की यह दशा नहीं होती. इन लोगों का कहना है कि तृणमूल और कांग्रेस की प्रतिद्वंदिता में भाजपा को बढ़त मिली है. उल्लेखनीय है कि मालदा में मिली जबर्दस्त पराजय से […]
मालदा : तृणमूल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर मौसम नूर को पहले ही तृणमूल का जिलाध्यक्ष मनोनीत किया गया होता तो पार्टी की यह दशा नहीं होती. इन लोगों का कहना है कि तृणमूल और कांग्रेस की प्रतिद्वंदिता में भाजपा को बढ़त मिली है. उल्लेखनीय है कि मालदा में मिली जबर्दस्त पराजय से आहत दलीय नेतृत्व ने मोयाज्जेम होसेन को जिलाध्यक्ष पद से हटाकर उस पर मौसम नूर को बैठाया है.
मोयाज्जेम दक्षिण मालदा सीट से तृणमूल के उम्मीदवार थे जो तीसरे स्थान पर रहे. मौसम नूर को जिलाध्यक्ष बनाये जाने से जिला कमेटी के सदस्य उत्साहित हैं. उन्हें मौसम पर पूरा भरोसा है. कई लोगों का मानना है कि मौसम नूर के कमान संभालने से जिले में तृणमूल की स्थिति काफी बेहतर हो जायेगी.
उल्लेखनीय है कि जिला नेतृत्व का यह मानना है कि कोतवाली परिवार से भाई बहनों के एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने से उन्हें यह पराजय देखना पड़ा है. जब तक कोतवाली परिवार एकजुट होकर कांग्रेस में था तब तक कांग्रेस एक मजबूत स्थिति में थी. वहीं, मौसम नूर ने भी कहा है कि अगर कांग्रेस के साथ जोट होता तो यह हार नहीं होती. हालांकि अब बीती बातों को भुलाकर संगठन को मजबूत बनाने में जुट जाना होगा.
मौसम नूर ने दूरभाष पर बताया कि उनका पहला काम दल को सांगठनिक रुप से मजबूत करना होगा. जिला नेतृत्व के सभी नेताओं को लेकर बैठक करेंगी. सामने नगरपालिका चुनाव है. उसकी तैयारी में एकजुट होना है. उन्हें मुख्यमंत्री ने महिला आयोग का वाइस चेयरपरसन बनाया है. लेकिन आचार संहिता के लागू रहते वे योगदान नहीं कर पा रही हैं.