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आंदोलन के सात दिनों में 68 मरीजों की मौत

औसतन 1200 से गिरकर भर्ती मरीजों की संख्या अभी 738 उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में फिर उमड़ी मरीजों की भीड़ सिलीगुड़ी : मंगलवार की सुबह से राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों की भांति उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के जूनियर छात्र डॉक्टर भी अपने काम पर वापस लौटे. जूनियर छात्र डॉक्टरों के समर्थन में सामूहिक इस्तीफा […]

औसतन 1200 से गिरकर भर्ती मरीजों की संख्या अभी 738

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में फिर उमड़ी मरीजों की भीड़

सिलीगुड़ी : मंगलवार की सुबह से राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों की भांति उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के जूनियर छात्र डॉक्टर भी अपने काम पर वापस लौटे. जूनियर छात्र डॉक्टरों के समर्थन में सामूहिक इस्तीफा देनेवाले सीनियर व विशेषज्ञ डॉक्टर भी काम पर लौट आये. मंगलवार से चिकित्सा परिसेवा स्वाभाविक होने लगी है. इससे मरीजों व उनके परिजनों ने राहत की सांस ली है. हालांकि आंदोलन के बीते सात दिनों का आंकड़ा मरीजों की पीड़ बयान करता है.

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कुल मिलाकर 26 वार्ड हैं. आंदोलन के दिनों में सभी वार्ड करीब सुनसान ही थे. 598 बेड वाले इस मेडिकल कॉलेज में औसतन 1200 से अधिक मरीज हमेशा भर्ती रहते थे. लेकिन आंदोलन के बाद मंगलवार को सिर्फ 738 मरीज ही इलाजरत हैं. आंदोलन के सात दिनों में 68 मरीजों की मौत हुई है. जबकि 258 मरीजों को उनके परिजन अपने जिम्मे (डिस्चार्ज ओन रिस्क बांड) पर अन्य अस्पताल व नर्सिंग होम ले गये.

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल अधीक्षक डॉ कौशिक समाजदार ने बताया कि मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद से ही स्थिति समान्य होने लगी है. सोमवार रात सात बजे से ही जूनियर डॉक्टरों काम पर लौट आये हैं. आंदोलन के दिनों में आउटडोर परिसेवा बंद रही, लेकिन रोगियों को आपातकाल चिकित्सा परिसेवा मुहैया कराने का हर संभव प्रयास किया गया है. जिसमें आंदोलन को सैद्धांतिक समर्थन देने वाले पीजीटी, सीनियर व विशेषज्ञ डॉक्टरों ने काफी सहयोग दिया है.

मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मानवेन्द्र माखाल ने बताया कि सुरक्षा की मांग को लेकर जूनियर छात्र डॉक्टरों के आंदोलन को हमारा सैद्धान्तिक समर्थन था. उसी क्रम में हम लोगों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दिया था. लेकिन आंदोलन के दौरान हम सभी ने रोगियों को चिकित्सा परिसेवा मुहैया कराने का हरसंभव प्रयास किया है. मंगलवार से हम फिर से अपने काम पर लौटे हैं. इस्तीफा पर निर्णय सरकार करेगी.

आंदोलन समाप्त के बाद मेडिकल कॉलेज में एमआर का दौरा फिर से बढ़ गया है. मंगलवार को मनोचिकित्सा विभाग में दो एमआर को फर्स्ट आवर में ही वार्ड में पाया गया. पूछने पर बिना जवाब दिये दोनों रफूचक्कर हो गये. मनोचिकित्सा विभाग के डॉक्टरों से पूछने पर बताया कि वार्ड के बाहर निर्देशिका लगे होने के बाद भी एमआर जबरन भीतर प्रवेश कर जाते हैं. अब डॉक्टर गेटकीपर का काम तो नहीं करेगा. हांलाकि इस संबंध में कॉलेज अधीक्षक डॉ कौशिक समाजदार ने लगाम कसने का आश्वासन जताया है.

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