हर दो मिनट में एक बच्चे की मौत हो रही प्रदूषित जल से

चुनौती : गहराते जल संकट पर केएनयू में एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन हर छठे भारतीय को नहीं मिलता शुद्ध पेयजल, बढ़ती आबादी कारण जल का दुरुपयोग रोकना बेहद जरूरी, संरक्षण पर वक्ताओं का जोर आसनसोल : काजी नज़रूल यूनिवर्सिटी (केएनयू) के माइंस एवं मेट्रियोलॉजी विभाग और एनएसएस यूनिट ने सोमवार को प्रशासनिक भवन स्थित सभागार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 23, 2019 1:46 AM

चुनौती : गहराते जल संकट पर केएनयू में एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन

हर छठे भारतीय को नहीं मिलता शुद्ध पेयजल, बढ़ती आबादी कारण
जल का दुरुपयोग रोकना बेहद जरूरी, संरक्षण पर वक्ताओं का जोर
आसनसोल : काजी नज़रूल यूनिवर्सिटी (केएनयू) के माइंस एवं मेट्रियोलॉजी विभाग और एनएसएस यूनिट ने सोमवार को प्रशासनिक भवन स्थित सभागार में जल संकट पर एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन किया. उद्घाटन कुलपति डॉ साधन चक्रवर्ती और एनआईटी दुर्गापुर के प्रोफ़ेसर विवेक कुमार द्विवेदी ने किया.
भारत सहित पूरी दुनिया में तेजी से गहराते जल संकट और आने वाले समय में इसके भयावह स्वरुप पर ध्यान आकृष्ट करते हुए सरकार से इससे निबटने की योजना एवं रणनीति तैयार करने को कहा गया. एनआइटी के प्रोफ़ेसर डॉ द्विवेदी ने कहा कि पूरे विश्व सहित भारत में तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या और पानी की खपत के कारण जल संकट मंडरा रहा है. भारत में हर छठा व्यक्ति नियमित और सुरक्षित पेय जलपूर्ति से वंचित है. भारत में प्रदूषण युक्त संवाहित जल पीने से हर दो मिनट में एक बच्चे की मौत हो जाती है. उन्होंनें कहा कि भारत में तेजी से बढती आबादी और जल की बढ़ती खपत के कारण भारत में जल संकट विकराल रूप लेने की ओर है.
उन्होंने तमिलनाडू के जल संकट का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां ट्रेनों से टेंकरों के माध्यम से जल भेजने की नौबत आ गई थी. एक समय ऐसा आयेगा जब रोजमर्रा के जरुरी कामों के लिए भी जल नहीं मिल पायेगा. यही स्थिति रही तो पानी की कमी के कारण डिसपौजेबल कपड़े पहनने ओर बर्तन उपयोग को बाध्य होंगे. जल संकट की स्थिति के लिए उपलब्ध जल का मानव द्वारा दुरुपयोग किया जाना मुख्य कारण है. कारखानों में पानी की सर्वाधिक खपत होती है. यही नहीं कुछ कारखाने कचरा और रसायन युक्त पानी जलाशयों व नदियों में मिला देते हैं.
उन्होंने कहा कि देश का आधी दलदली जमीन समाप्त हो चुकी है. बहुत सी नदियां अब सागरों तक नहीं पहुंच पाती हैं. उन्होंने सरकार से जल के दुरूपयोग को रोकने के लिए कड़े नियम बनाये जाने ओर योजना बनाने की मांग की. नागरिकों से रेन हार्वेस्टिंग पद्धति का उपयोग कर वर्षा जल को संरक्षित करने और उपयोग की सलाह दी.
कुलपति डॉ चक्रवर्ती ने कहा कि जल और पृथ्वी पर जीवन में अभिन्न संबंध है. मानव सभ्यताओं का जन्म और विकास नदी के किनारे ही हुया था और वे वहीं पर विकसित हुई. उन्होंने सभी से जल के महत्त्व को समझने और इसके दुरूपयोग को रोकने का आग्रह किया.
कुलपति डॉ चक्रवर्ती के नेतृत्व में शिक्षकों तथा प्रोफेसरों ने यूनिवर्सिटी प्रांगण में रैली निकाल कर जल संरक्षण के जागरुकता का संदेश दिया. रजिस्ट्रार एससी दे, डीन साइंस जेएन राय, तनमय हाजरा, अरिंदम विश्वास तथा विभिन्न विभागों के अध्यापक शामिल थे.

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