तीन घंटे तक पटरी पर पड़ी रही, नहीं किया गया कोई उपजार
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ट्रेन की टक्कर से लहूलुहान हुई हथिनी
तीन घंटे तक पटरी पर पड़ी रही, नहीं किया गया कोई उपजार पहले भी इसी रेलखंड पर हो चुकी है दो हाथियों की मौत नागराकाटा : जलपाईगुडी डुआर्स रेल मार्ग पर शुक्रवार को एक मादा हाथी दुघर्टना का शिकार हो गयी. सुबह करीब 8 बजे केरन-बानारहाट रेल खंड स्थित धरनीपुर चाय बागान के पास एक […]
पहले भी इसी रेलखंड पर हो चुकी है दो हाथियों की मौत
नागराकाटा : जलपाईगुडी डुआर्स रेल मार्ग पर शुक्रवार को एक मादा हाथी दुघर्टना का शिकार हो गयी. सुबह करीब 8 बजे केरन-बानारहाट रेल खंड स्थित धरनीपुर चाय बागान के पास एक मादा हाथी रेल पटरी पार करते समय सिलिगुड़ी धुपड़ी इंटरसिटी एक्सप्रेस की चपेट में आ गयी. इस हादसे में मादा हाथी गंभीर रूप से जख्मी हो गयी.
हाथी को बचाने के दौरान ट्रेन चालक को भी चोट लगने की सूचना है. घायल ट्रेन चालक को अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस दुर्घटना में ट्रेन का इंजन भी क्षतिग्रस्त हुआ है. स्थानीय लोगों ने इस हादसे के लिए वन विभाग को दोषी बताते हुए रेलवे पर भी लापरवाही का आरोप लगाया है.
गौरतलब है कि कुछ माह पहले भी बानारहाट और केरन रेलवे स्टेशन के बीच रेडबैंक चाय बागान के पास दो हाथियों की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गयी थी.
इधर, रेल एवं वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि सिलिगुड़ी धुपड़ी गामी इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन धुपड़ी की ओर जा रही थी. उसी समय धरनपुर चाय बागान स्थित पिल्लर नंबर 83-7 पर एक मादा हाथी अचानक निकल आती है. ट्रेन चालक ने हाथी को निकट में देख ब्रेक लगाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन तब तक मादा हाथी और ट्रेन के बीच टक्कर हो गयी. लहुलुहान मादा हाथी पटरी पर गिर गयी. इस हादसे में ट्रेन का इंजन भी क्षतिग्रस्त हुआ है. तीन घंटे की मेहनत के बाद मादा हाथी पटरी से उठकर जंगल में प्रवेश कर गयी. घटना के कई घंटों बाद भी हाथी के लिए कोई उपचार उपलब्ध नहीं करा पाने पर स्थानीय लोगों ने वन विभाग और रेलवे के प्रति रोष प्रकट किया.
उल्लेखनीय है कि 2004 में सिलिगुड़ी से आलिपुरद्वार रेलमार्ग को बड़ी लाईन का आकर देने के बाद अब तक 68 हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हो चुकी है. इस के अलवा 5 वाईसन, तीन तेंदुवा और 12 छोटे आकर के वन्य जीवों की मौत पटरी पर हो चुकी है. पर्यावरण प्रेमी गौरव मंडल ने घटना पर दुख जताते हुए रेल और वन विभाग को इसके लिए जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि वन विभाग और रेलवे के बीच कोई आपसी तालमेल नहीं है. कई बार इसको लेकर बैठक हो चुकी है, लेकिन जमीन पर कोई बदलाव नहीं िदख रहा है.
वाइल्ड लाईफ वार्टन सीमा चौधरी ने कहा कि यह दर्दनाक घटना है. हमें उम्मीद करनी चाहिए कि मादा हाथी जल्द ठीक हो जाये. जलपाईगुड़ी जिला वाइल्ड लाईफ डीएफओ निशा गोस्वामी ने कहा कि जहां दुर्घटना हुई है उस स्थान पर हाथियों की आवाजाही होती रहती है. इसलिए वहां पर ट्रेनों की गति नियंत्रण रखने का का निर्देश दिया गया है, फिर भी ट्रेन तेज रफ्तार में थी. हम इस घटना के खिलाफ कानूनी सहायता लेंगे. उत्तर पूर्व सीमांत रेलवे, अलिपूरद्वार डिविजन के डीआरएम केएश जैन ने कहा कि अचानक ट्रेन के आगे मादा हाथी के आ जाने से यह हादसा हुआ है. घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. विभाग ने घटना की छानबीन करने के लिए तीन सद्स्यीय टीम बनाने का फैसला किया है.
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