22 से 28 किलोमीटर की यात्रा कर पढ़ने जाते हैं बच्चे
नागराकाटा : पिछले आठ वर्षों से निर्माणाधीन खयेरकाटा जूनियर हाई स्कूल के संचालन की मांग करते हुए स्थानीय लोगों ने शनिवार को स्कूल के सामने विरोध-प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने तृणमूल का दलीय झंडा लेकर विरोध जताया. वहीं प्रशासन ने ग्रामीणों के आक्रोशित होने पर परिस्थिति देखकर उचित निर्णय लेने की बात कही है. विदित हो […]
नागराकाटा : पिछले आठ वर्षों से निर्माणाधीन खयेरकाटा जूनियर हाई स्कूल के संचालन की मांग करते हुए स्थानीय लोगों ने शनिवार को स्कूल के सामने विरोध-प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने तृणमूल का दलीय झंडा लेकर विरोध जताया. वहीं प्रशासन ने ग्रामीणों के आक्रोशित होने पर परिस्थिति देखकर उचित निर्णय लेने की बात कही है.
विदित हो कि खयेरकाटा में दो प्राथमिक स्कूल होने के बावजूद भी वहां एक भी जूनियर हाई स्कूल नहीं है. इस कारण यहां के विद्यार्थियों को नागराकाटा या धूपगुड़ी के विभिन्न स्कूलों में जाकर अध्ययन करना पड़ता है.
मिली जानकारी के अनुसार खयेरकाटा से नागराकाटा की दूरी लगभग 28 किलोमीटर है, जबकि धूपगुड़ी 22 किलोमीटर पड़ता है. विद्यार्थियों को इतना लंबा दूरी तय करके अध्ययन के लिए स्कूल जाने में काफी परेशानी होती है. इस कारण जिला परिषद की ओर से एक जूनियर हाई स्कूल का निर्माण किया गया है.
लेकिन निर्माण के आठ वर्ष बीत जाने के बाद स्कूल बंद पड़ा हुआ है. स्कूल परिसर के आसपास जंगल उग गये हैं. विद्यालय गौशाला में परिणत हो गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार संबंधित विभाग को अवगत कराने के बाद भी आज तक संचालन नहीं हो पाया. इसको लेकर शनिवार को स्थानीय लोगों ने तृणमूल का दलीय झंडा देकर विरोध प्रदर्शन किया.
इलाके के तृणमूल नेता दशईं उरांव ने बताया कि खयेरकाटा में दो प्राथमिक विद्यालय हैं. लेकिन वहां एक भी जूनियर हाई स्कूल नहीं है. इसलिए प्राथमिक शिक्षा के बाद बच्चों को नागराकाटा या धूपगुड़ी जाना पड़ता है.
विद्यार्थियों की परेशानियों को देखते हुए आठ साल पहले जिला परिषद की मदद से एक जूनियर हाई स्कूल का निर्माण किया गया है. लेकिन आठ वर्षों से वैसे ही पड़ा है. यहां तक कि विद्यालय अब गाय-बकरी रखने का घर हो गया है. बार-बार विभाग को अवगत कराने के बाद भी कोई आश्वसन नहीं मिलने के कारण से मजबूर होकर विरोध प्रदर्शन करना पड़ा.
स्थानीय निवासी छबि राय ने कहा कि यहां के कई विद्यार्थी हैं जो कक्षा चार में अध्ययन करने के बाद स्कूल दूर होने के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं. आठ साल से हमलोग विद्यालय में शिक्षकों के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि जल्दी विद्यालय में पठन-पाठन शुरू हो. जलपाईगुड़ी की जिला परिषद सदस्य उत्तरा बर्मन ने बताया कि विद्यालय किस अवस्था में है, इसकी छानबीन कर उपयुक्त निर्णय लिया जाएगा.
गौरतलब है कि डायना जंगल और डायना नदी से घिरा खयेरकाटा ग्राम में लगभग 10 हजार लोग निवास करते हैं. गांव में कभी हाथी का भय तो कभी डायना नदी का प्रकोप छाया रहता है. गांव का मुख्य जीविका कृषि है.
वहां के कृषक बच्चों को काफी कष्ट सहकर निरंतर अध्ययन करा रहे हैं. लेकिन विद्यालय जाने के दौरान बड़े जंगल को पार करना पड़ता है. वहीं धूपगुड़ी जाते समय डायना नदी को पार कर जाना पड़ता है, जो काफी जोखिम भरा रहता है. इसलिए विद्यार्थियों के हित के लिए स्थानीय लोगों ने जूनियर हाई स्कूल जल्द से जल्द चालू करने की मांग की है.