डुआर्स के चाय बगानों में क्रेस के नाम पर मिलता है तिरपाल
नागराकाटा : चाय बागान लेबर एक्ट के अनुसार बागान में बच्चों को रखने के लिए एक क्रेस हाउस की व्यवस्था जरुरी है. डुआर्स के चाय बागानों में इस कानून का कहीं पालन होता नहीं दिख रहा है. क्रेस हाउस के नाम में केवल प्लास्टिक और तिरपाल की छांव ही दिखती है. कड़कती धूप हो या […]
नागराकाटा : चाय बागान लेबर एक्ट के अनुसार बागान में बच्चों को रखने के लिए एक क्रेस हाउस की व्यवस्था जरुरी है. डुआर्स के चाय बागानों में इस कानून का कहीं पालन होता नहीं दिख रहा है. क्रेस हाउस के नाम में केवल प्लास्टिक और तिरपाल की छांव ही दिखती है.
कड़कती धूप हो या कंपकपाती ठंड इसी में श्रमिक अपने बच्चों को रखने को मजबूर हैं. इसमें न तो बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में कोई ख्याल रखा जाता है और न ही उनके खाने-पीने की कोई व्यवस्था रहती है. मां का दूध पीने वाले बच्चे भी टेन्ट में रोते दिखते हैं. श्रमिक के हित की बात करनेवाले श्रमिक संगठनों के नेता भी इस पर मुंह नहीं खोलते हैं.
डुआर्स के चाय बागानों में क्रेस घर के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है. जबकि चाय प्लान्टेशन एक्ट में क्रेस हाउस के बारे में स्पष्ट रुप से उल्लेख है. नियम के अनुसार क्रेस हाउस में बच्चे के लिए दूध से लेकर स्वास्थ्य सुविधा की व्यवस्था होनी चाहिए.
उल्लेखनीय है कि इस मामले में मेटली ब्लॉक स्थित इंडोर चाय बागान की तस्वीर बिल्कुल अलग है. चाय बागान में बच्चों को रखने के लिए ई क्रेस व्यवस्थित होने के बाद भी चाय प्रबंधक की ओर से चाय बागान में डिजिटल क्रेस हाउस का निर्माण किया जा रहा है.