सरकारी उदासीनता के कारण जमीन के मालिकाना हक से वंचित हो रहे बस्तीवासी
कहा, 641 पीड़ित परिवारों को पहले दे पट्टा, अन्यथा होगा आंदोलन सिलीगुड़ी : सरकारी उदासीनता की वजह से बस्तीवासी जमीन के मालिकाना हक से वंचित हो रहे हैं. ममता राज में केवल सिलीगुड़ी नहीं, बल्कि राज्य भर में बस्ती व कॉलोनियों में रहनेवालों को जमीन का पट्टा नहीं मिल रहा है. यह कहना है सिलीगुड़ी […]
कहा, 641 पीड़ित परिवारों को पहले दे पट्टा, अन्यथा होगा आंदोलन
सिलीगुड़ी : सरकारी उदासीनता की वजह से बस्तीवासी जमीन के मालिकाना हक से वंचित हो रहे हैं. ममता राज में केवल सिलीगुड़ी नहीं, बल्कि राज्य भर में बस्ती व कॉलोनियों में रहनेवालों को जमीन का पट्टा नहीं मिल रहा है. यह कहना है सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य का. बस्ती इलाके व कॉलोनियों में जीवन यापन करनेवालों को जल्द जमीन का पट्टा दिये जाने के लिए अशोक भट्टाचार्य ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी भेज कर काफी पहले पूरी जानकारी दी थी.
बुधवार को निगम के कॉन्फ्रेंस हॉल में प्रेस-वार्ता के दौरान उन्होंने मीडिया से कहा कि यह चिट्ठी सीएम को उन्होंने नौ अगस्त को भेजी थी. चिट्ठी की एक प्रतिलिपि नगर विकास मंत्री फिरहाद हकीम को भी भेजी गयी थी. लेकिन सरकारी लापरवाही की वजह से आज तक बस्तीवासियों को जमीन नहीं मिला.
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि 2010 में वाम सरकार के दौरान जब वह खुद नगर विकास मंत्री थे तब वाम सरकार ने शहरी क्षेत्र के बस्ती इलाके में रहनेवालों को प्रतिवर्ष एक रुपये की दर पर यानी 100 रुपये में 99 वर्ष तक जमीन की लीज देकर मालिकाना हक देना प्रारंभ किया था. इसके तहत सिलीगुड़ी में काफी लोगों को जमीन का पट्टा भी दिया गया था.
सिलीगुड़ी नगर निगम के जलपाईगुड़ी जिला अंतर्गत बस्ती इलाके में रहनेवाले 641 परिवारों को जमीन का पट्टा देने के लिए सलामी का पैसा व लीज डीड भी तैयार कर लिया गया था. लेकिन 2011 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद आज तक उन्हें जमीन का अधिकार नहीं दिया गया. श्री भट्टाचार्य ने ममता को तेवर दिखाते हुए कहा कि वह पहले शरणार्थी बस्तियों को नियमित करने की ओछी राजनीति कर रही है.
अगर ऐसा होता है तो साफ जाहिर है कि राज सरकार शरणार्थी जीवन जीनेवालों को जमीन का मालिकाना हक देना चाहती है. जबकि बस्ती इलाके में रहनेवाले इसके पहले हकदार हैं. उन्होंने ममता सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकार पहले उन 641 परिवारों को जमीन की दलील देकर उन्हें उनका हक नहीं देती है तो इसे लेकर सड़क पर उतरकर व्यापक आंदोलन किया जायेगा. अगर इन परिवारों को जमीन का पट्टा मिल जाता है तो ये सभी हॉसिंग फॉर ऑल परियोजना से भी लाभांवित हो सकेंगे.
भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट रेलवे की जमीन में भी लोगों को उनके जमीन का अधिकार देने की बात कह रही है. आश्चर्य की बात यह है कि जो सरकार 40-50 वर्षों से रह रहे लोगों को आजतक जमीन का अधिकार नहीं दे सकी, वो सरकार रेलवे व अन्य क्षेत्रों में रह रहे लोगों को जमीन मुहैया कराने की बात कर रही है. इस तरह की बाते करके ममता सरकार गरीबों के साथ धोखा कर रही है.