पुस्तक मेला 30 दिसंबर से, आमंत्रण पत्र पर सांसद का नाम नहीं

कूचबिहार : 30 दिसंबर से कूचबिहार रास मेला मैदान में कूचबिहार जिला पुस्तक मेला का शुभारंभ होने जा रहा है. मेला आगामी 6 जनवरी तक चलेगा. इस मेले को लेकर तृणमूल पर राजनीति करने करने का आरोप लगा है. रास मेले की तरह पुस्तक मेले में भी जिला से एकमात्र सांसद को निमंत्रण नहीं देने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2019 7:04 AM

कूचबिहार : 30 दिसंबर से कूचबिहार रास मेला मैदान में कूचबिहार जिला पुस्तक मेला का शुभारंभ होने जा रहा है. मेला आगामी 6 जनवरी तक चलेगा. इस मेले को लेकर तृणमूल पर राजनीति करने करने का आरोप लगा है.

रास मेले की तरह पुस्तक मेले में भी जिला से एकमात्र सांसद को निमंत्रण नहीं देने का आरोप लगा है. पुस्तक मेले में जिला के मंत्री से लेकर वाम विधायक का भी नाम निमंत्रण पत्र में लिखा गया है. जबकि कूचबिहार लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद निशित प्रमाणिक का नाम नहीं लिखा है.
इसको लेकर भाजपा ने राजनीतिकरण करने का आरोप तृणमूल के ऊपर लगाया है. जबकि तृणमूल की ओर से उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष ने कुछ भी कहने से साफ तौर पर इंकार किया है. पत्रकार सम्मेलन में मंत्री के अलावा जिला शासक पवन कादियान भी उपस्थित थे.
बता दें कि 30 दिसंबर से कूचबिहार जिला पुस्तक मेला का शुभारंभ होगा. मेले का उद्घाटन उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष करेंगे. इसको लेकर शनिवार को जिला शासक दफ्तर में एक पत्रकार सम्मेलन का आयोजन मंत्री व जिला शासक द्वारा की गई. पत्रकार सम्मेलन करते हुए मंत्री रवींद्रनाथ घोष ने कहा कि आगामी सोमवार कूचबिहार नगरपालिका के सामने शोभायात्रा के माध्यम से पुस्कतक मेला का आगाज होगा.
इसके बाद रास मेला मैदान में मेला का शुभारंभ होगा. मेले में इस वर्ष 75 दुकानें बाहर से आ रही है. कुल 135 स्टॉल बनाये गये हैं. इसके साथ ही इस वर्ष प्रवेश मूल्य नि:शुल्क कर दिया गया है. उसमें जनप्रतिनिधि होने के नाते सांसद का नाम नहीं रखा गया है.
इसको लेकर कूचबिहार जिला भाजपा के अध्यक्ष मालती राभा राय ने कहा कि तृणमूल की यही संस्कृति है. वह विरोधियों को जगह नहीं देना चाहती है. आमलोगों के मत से सांसद चुने गये हैं. आमलोग ही आगामी दिनों इसका जवाब देंगे
इस विषय को लेकर मंत्री रविंद्र नाथ घोष ने कहा कि, यह राज्य सरकार का कार्यक्रम है राज्य सरकार के प्रतिनिधि व अधिकारियों के द्वारा ही संचालित किया जाता है.
इसके अलावा केंद्र सरकार के किसी भी कार्यक्रम में राज्य सरकार के किसी प्रतिनिधि जनप्रतिनिधि को नहीं बुलाया जाता है.

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