वोट बैंक बचाने के लिए कर रहे विरोध

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दार्जिलिंग से भाजपा सांसद ने घुसपैठियों को राष्ट्र के लिए बताया खतरा कहा-तृणमूल समेत कांग्रेस, माकपा ने भी एनआरसी का किया था समर्थन, अब क्या हो गया? सिलीगुड़ी : सीएए, एनआरसी, एनपीआर के मुद्दे पर दार्जिलिंग से भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने विरोधी पार्टियों तृणमूल, कांग्रेस, माकपा को कटघड़े में खड़ा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2020 1:48 AM

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दार्जिलिंग से भाजपा सांसद ने घुसपैठियों को राष्ट्र के लिए बताया खतरा

कहा-तृणमूल समेत कांग्रेस, माकपा ने भी एनआरसी का किया था समर्थन, अब क्या हो गया?
सिलीगुड़ी : सीएए, एनआरसी, एनपीआर के मुद्दे पर दार्जिलिंग से भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने विरोधी पार्टियों तृणमूल, कांग्रेस, माकपा को कटघड़े में खड़ा करते हुए 14 साल पहले की घटना की याद दिलायी. शुक्रवार को सिलीगुड़ी में सेवक रोड स्थित एक होटल में आयोजित प्रेस-वार्ता के दौरान सांसद ने कहा कि 14 साल पहले कांग्रेस की संप्रग सरकार में तृणमूल से बंगाल की तत्कालीन सांसद ममता बनर्जी ने चार अगस्त 2005 को लोकसभा में बांग्लादेश व अन्य पड़ोसी देशों से भारत में अवैध घुसपैठियों को बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए खतरा बताया था. सदन में ममता बनर्जी ने कागजात तत्कालीन डिप्टी स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल के चेहरे पर फेंकी थी.
राजू बिष्ट ने कहा कि उस दौर में केवल ममता की तृणमूल कांग्रेस ही नहीं, बल्कि कांग्रेस और माकपा ने भी एनआरसी का समर्थन किया था. लेकिन आज अपने वोट बैंक को बचाने के लिए सीएए-एनआरसी-एनआरपी का विरोध कर राजनैतिक रोटी सेंकने की कोशिश कर रहे हैं और दुष्प्रचार कर आम जनता में भ्रांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं. राजू बिष्ट ने कहा कि आज की जनता को बरगलाना इतना आसान नहीं है.
पब्लिक सब जानती है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केवल ममता ही क्यों किसी भी राज्य की सत्ताधारी पार्टी सीएए पर चाहे जितना भी हो-हल्ला कर लें, इससे कोई फायदा नहीं होनेवाला है. लोकसभा में पूर्ण बहुमत और राष्ट्रपति की मुहर के साथ सीएए पारित हो चुका है. कोई भी सत्ताधारी सरकार इसे अपने राज्य में लागू होने से नहीं रोक सकता. श्री बिष्ट ने कहा कि सीएए से किसी भी भारतीय नागरिक को डरने की जरूरत नहीं हैं. फिर वह चाहे मुस्लिम व अन्य किसी संप्रदाय का ही क्यों न हो.
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सीएए केवल बांग्लादेश, पाकिस्तान व अफगानिस्तान में जो अल्पसंख्यक समुदाय सिख, फारसी, बौद्ध व अन्य समुदाय जो धार्मिक कारणों से प्रताड़ित और अत्याचार का शिकार होते रहे हैं, केवल उनके लिए है.

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