पृथक राज्य के लिए संगठित होना होगा : मुनीष तामांग
सिलीगुड़ी: हमें पिछली गलतियों को सुधारना होगा. पृथक राज्य के लिए संगठित होना होगा. यह कहना है दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मुनीष तामांग का. उल्लेखनीय है कि रविवार को भारतीय गोरखा परिसंघ की ओर से सेवक रोड स्थित उत्तर बंग मारवाड़ी भवन में पृथक गोरखालैंड विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया था. देश भर […]
सिलीगुड़ी: हमें पिछली गलतियों को सुधारना होगा. पृथक राज्य के लिए संगठित होना होगा. यह कहना है दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मुनीष तामांग का. उल्लेखनीय है कि रविवार को भारतीय गोरखा परिसंघ की ओर से सेवक रोड स्थित उत्तर बंग मारवाड़ी भवन में पृथक गोरखालैंड विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया था. देश भर से करीब 500 बुद्धिजीवि सेमिनार में उपस्थित थे.
सिक्किम विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति और जेएनयू के प्रोफेसर डॉ पी लामा ने पृथक गोरखालैंड के पक्ष में बोलते हुये कहा कि यह संवेदनशील क्षेत्र है. इसके गठन से बंगाल या केंद्र सरकार के हीतों को नुकसान नहीं पहुंचेगा. यह इलका पड़ोसी मुल्क भूटान, चीन, बंगलादेश व नेपाल से जुड़ा है. यदि पृथक राज्य का गठन होता है, तो राष्ट्र विरोधी ताकतों पर लगाम कसा जा सकता है.
आपका तीस्ता हिमालय के संपादक डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि पृथक राज्य का मुद्दा नया नहीं है. उत्तर बंगाल में अपने अस्तित्व के लिए राजवंशी, गोरखा जन जाति आंदोलन करते आये है. इन आंदोलनों से यदि कुछ नुकसान हुआ है, तो पहाड़ और समतल के बीच के संबंध कड़वे हुये.
कारण दोनों एक दूसरे पर निर्भर है. बंद का असर दोनों झेलते है. उन्होंने आगे कहा कि लालू, मुलायम सहित देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी पृथक राज्य के विरोध में खड़े थे. लेकिन कोट्टू थ्री रामलू के त्याग व बलिदान से आंध्र प्रदेश बना. झारखंड और उत्तरांचल बना. राजनेताओं को सत्ता, शतरंज और सियासत की चाल को छोड़कर जनता की भावनाओं को समझना होगा.