सिलीगुड़ी: दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र में विभिन्न कार्यो को किये जाने के अधिकार क्षेत्र को लेकर एक बार फिर गोरखालैंड टेरीटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) तथा राज्य सरकार के बीच टकराव बढ़ गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जीटीए क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं के संचालन को लेकर राज्य सरकार और जीटीए के बीच भारी विवाद है.
ताजा विवाद पर्वतीय क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदायों के विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा आवंटित फंड के खर्च करने के अधिकार को लेकर है. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए आवंटित धन सीधे जिला शासक के अधिकार क्षेत्र में दे दिया है.
जबकि गोजमुमो नेताओं का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्र में किसी भी योजना के संचालन का अधिकार जीटीए को है. पर्वतीय क्षेत्र में किये जा रहे सरकारी कार्यो के लिए धन खर्च करने का अधिकार जीटीए के पास है. राज्य सरकार, गोजमुमो तथा केन्द्र सरकार के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते में ही इस तरह का प्रावधान था. लेकिन राज्य सरकार जीटीए के अधिकार क्षेत्र में दखल दे रही है. इस संबंध में जीटीए के एक वरिष्ठ नेता नेता ने बताया है कि ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार पहली बार जीटीए के अधिकार क्षेत्र में कटौती कर रही है. इससे पहले भी जीटीए इलाके में तीन सड़कों की मरम्मत कराने को लेकर पहले से ही विवाद कायम है. उन्होंने आगे बताया कि नियमानुसार जीटीए क्षेत्र में सड़कों के निर्माण या मरम्मत की जिम्मेदारी जीटीए की है. राज्य सरकार इस मद में केवल धन उपलब्ध करा सकती है. इसके बावजूद उत्तर बंगाल विकास परिषद ने जीटीए क्षेत्र में तीन सड़कों की मरम्मती को लेकर टेंडर जारी कर दिया.
यह मामला फिलहाल हाईकोर्ट में है. इस मामले की हाल ही में कोलकाता हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है और कोर्ट ने इस काम पर स्टे लगा दिया है.स्वाभाविक तौर पर राज्य सरकार और जीटीए के बीच इस लड़ाई के कारण पर्वतीय क्षेत्र में विकास के कार्य प्रभावित हो रहे हैं. इस बीच, अल्पसंख्यकों के कल्याण के मद में आवंटित धन का विवाद भी हाईकोर्ट जा सकता है.
गोजमुमो के विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जीटीए ने राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का निर्णय लिया है. जीटीए नेताओं का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के कल्याण के मद में धन खर्च करने का अधिकार सिर्फ जीटीए को है और राज्य सरकार यदि इस मामले में दखल देती है, तो यह सीधे तौर पर जीटीए के नियमों का उल्लंघन है. सूत्रों ने बताया कि विनय तामंग सहित कई गोजमुमो नेता अभी कोलकाता में हैं. इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के लिए वह वकीलों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार सोमवार को ही याचिका दायर हो जाने की संभावना है. सूत्रों ने बताया कि दुर्गा पूजा के कारण हाईकोर्ट में लंबी छुट्टी होगी.इसलिए सोमवार को ही याचिका दायर करने की योजना गोजमुमो नेताओं की है.