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जाते-जाते देह-दान कर गये शैलेंद्रनाथ !

सिलीगुड़ी: शैलेंद्र नाथ राय को जानने वाले कहते हैं कि उनकी चोटी और मूंछ में बड़ी ताकत थी. वें गलत कहते है! ताकत और शक्ति देखनी है, तो उसके दिल को देखना चाहिए था. जो काफी विशाल था. जाते-जाते देहदान कर गये. बहुत कम पढ़े-लिखे थे. मुश्किल से हस्ताक्षर करना सीखा था. दिमाग से नहीं, […]

सिलीगुड़ी: शैलेंद्र नाथ राय को जानने वाले कहते हैं कि उनकी चोटी और मूंछ में बड़ी ताकत थी. वें गलत कहते है! ताकत और शक्ति देखनी है, तो उसके दिल को देखना चाहिए था. जो काफी विशाल था. जाते-जाते देहदान कर गये. बहुत कम पढ़े-लिखे थे. मुश्किल से हस्ताक्षर करना सीखा था.

दिमाग से नहीं, दिल से जीते थे. 14 साल की उम्र में ही देशबंधु पाड़ा की लड़की सरस्वती से प्रेम-विवाह कर लिया. श्वसुर ने कहा -’यही रह जाओ!’ तो बस यही डेरा डाल लिया. एक कमरे का टीन का घर है. इसमें समान से अधिक मैडल और तस्वीरे है. जो कहती है, मैं मर नहीं सकता! मैं जिंदा हूं! यहां वे जमाई बाबू थे. सबसे उनका हंसी-मजाक चलता था. मजाक में अधिक चुनौतियां शामिल थी. जैसे-मूंछ से पांच-किलो, दस किलो उठाना. मोदीखाना दुकान के व्यवसायी ने 35-35 किलो का दो बोरी आटा देने का चैलेंज दिया था. और कहा था, उठा लिये तो यह तुम्हारा! उन्होंने अपने इलाके में सबके सामने कर दिखाया. और कई माह तक इस मूंछ के बल पर पाया गया आटा को खाते रहे. पत्नी और उसके दोस्त मना करते रहे इस तरह के जोखिम से भरे काम न करे! वें भी दिलासा देते थे -‘ ये आखिरी है. इसके बाद वचन देता हूं, नहीं करूंगा!

मेडिकल के छात्र शैलेंद्र के शरीर का करेंगे शोध : शैलेंद्रनाथ राय चाहते थे कि मरने के बाद उनका अंग किसी के काम आये. लेकिन पोस्टमार्टम में देरी के कारण उनकी आंखें और किडनी तो काम नहीं आयी. लेकिन उनका देह उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज को सुपरूद कर दिया. मेडिकल सुपर सब्यसाची ने बताया कि हृदयाघात से उसकी मृत्यु हुई है. यह इंसान कमाल का था. उनका शरीर हमने फारमलीन सोल्यूशन देकर संरक्षित किया है.

अब कौन मुझे न्याय दिलायेगा : शैलेंद्र की लाडली बेटी मीमी जिसे वें सबसे अधिक प्यार करते थे. घर में कुछ भी अच्छा खाना आने से पहले अपनी बेटी को खिलाते थे. बेटी को ढ़ेर सारा दहेज देकर हैदरपाड़ा स्थित कालीदास साहा से विवाह कराया था. लेकिन कालीदास मीमी को दहेज के लिये परेशान करते थे. कई बार उसे घर से निकाल चुके थे. तीन साल से मीमी अपने पिता के घर में रह रही है. कालीदास पर 498 का केस चल रहा है. उसके भरण-पोषण की मांग की गयी है. दो मई को सुनवायी भी थी. मीमी, अपने पिता के साथ ही कोर्ट जाती थी. लेकिन पिता ने उसे बीच में ही छोड़ गये.

मीमी के लिए अब कौन संघर्ष करेगा?
प्रायोजक के नाम पर मात्र ढाई हजार : एक जान की कीमत कितनी सस्ती हो सकती है. यह शैलेंद्र के स्टंट के लिए मिलने वाले स्पोंसर की कीमत से पता चला है. उसके हाथों में इस्ट बंगाल द रीयल पावर ने मात्र ढाई हजार रूपया दिया था.

मरणोपरांत सम्मानित करेगी सरकार : जीते जी गिनीज बुक होल्डर शैलेंद्र नाथ राय को कोई सम्मान नहीं मिला. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बस आश्वासन दिया था कि उसकी नौकरी को स्थायी कर देगी. लेकिन कर नहीं पायी. सोमवार को विधायक डॉ रूद्रनाथ भट्टाचार्य व मंत्री गौतम देव उसके परिवार से मिलने गये थे. विधायक डॉ रूद्रनाथ भट्टाचार्य ने कहा कि वे हमारे उत्तर बंगाल की शान थे. सामने एवरेस्ट दिवस है. हम उन्हें मरणोपरांत सम्मानित करेंगे. उन्होंने कहा कि मैंने उसे सचेत किया था कि इस खौफनाक स्टंट करने से पहले नैफ से प्रशिक्षण ले लो. लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी. विधायक ने पांच हजार की व्यक्तिगतत सहायता इस परिवार को किया.

शैलेंद्र जैसा व्यक्तित्व राष्ट्रीय संपत्ति है : शैलेंद्र जैसे लोगों की कीमत दुनिया मरने के बाद जानती है. जीते जी न उनके कार्य को प्रोत्साहन मिलता है. न उचित सरकारी संरक्षण. अफसोस है देश कब ऐसे कोहिनूर को उचित मूल्य व सम्मान देना सिखेगी. यह कहना है सिलीगुड़ी मॉडल हाईस्कूल के प्राचार्य व समाजसेवी डॉ एसएस अग्रवाल का.

पुराने जमाने की तकनीक प्रयोग करने की भूल की : इस तरह के स्टंट के लिए क्लामबिंग रोप तार का इस्तमाल करना चाहिए था. लेकिन उन्होंने साधारण साधारण जी आई के तार का प्रयोग किया. वह भी एक तार. लाइफ सेफ्टी के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी. उसके दल में सभी अप्रशिक्षित थे. प्रशासन ने भी इसे हल्के में लिये. एक एंबुलेंस भी घटना स्थल पर नहीं था.

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