सारधा के लिए 500 करोड़ और एनेक्स के लिए क्या?

सिलीगुड़ी : सारधा के एजेंट को उबारने के लिए राज्य सरकार ने 500 करोड़ का पैकेज देने की घोषणा की. उसके खिलाफ कार्रवायी हो रही है. लेकिन एनेक्स ने भी ठीक उसी तरह हमें धोखा दिया है. उसे लेकर प्रशासन सख्त कार्रवायी नहीं कर रही है. न ही हमारे पैसे वापस मिलने की उम्मीद है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:32 PM

सिलीगुड़ी : सारधा के एजेंट को उबारने के लिए राज्य सरकार ने 500 करोड़ का पैकेज देने की घोषणा की. उसके खिलाफ कार्रवायी हो रही है. लेकिन एनेक्स ने भी ठीक उसी तरह हमें धोखा दिया है. उसे लेकर प्रशासन सख्त कार्रवायी नहीं कर रही है. न ही हमारे पैसे वापस मिलने की उम्मीद है.

निवेदश हमारे घर आकर हमें जान से मारने की धमकी देते है. घर का सामना उठा ले जा रहे है. हम अपने घर में कई दिनों से नहीं गयी. हमारे बाप-दादा की इज्जत खाक में गयी सो अलग. हम चारों ओर से लूट गये है. यह कहना है एनेक्स के एजेंट मृणाल चक्रवर्ती का. वें मंगलवार को पत्रकारों से मुखातीब थे.

एनेक्स के एजेंट कृष्ण चंद्र मंडल ने बताया कि पुलिस ने केवल एमडी प्रसन्नजीत को ही हिरासत में लिया है. बाकी इस कंपनी के अन्य निदेशक जिसमें अधिकांश उसके परिवार के लोग है, जैसे सुब्रत मजूमदार और असीत मजूमदार उसे नहीं पकड़ा गया. वें आराम से सिलीगुड़ी में घूम रहे है.

हमें यह भी संदेह है कि सारधा की तरह एनेक्स के ऊपर भी कहीं सरकार का आशीर्वाद तो नहीं है? निवेशक और एजेंट मिलाकर कुल 50 हजार एनेक्स के निवेशक है. तीन साल में दुगुनी रकम और उत्तर बंगाल में अपनी अथाह परियोजना का झांसा देकर इस कंपनी ने करीब 200 करोड़ का चूना लगाया. गुप्त रूप से अपनी संपत्ति को यह बेच भी रही है.

दागापुर के रहने वाले जयदीप दास का कहना है कि साढ़े तीन साल से मैं एनेक्स के मनी मार्केट व्यवसाय में हूं. मेरे अधिकांश निवेशक चाय बगान के है. वे रोज मेरे घर पर आकर धमकी दे रहे है. वहीं सुकला के सुरेन प्रधान इस कपंनी के एजेंट और निवेशक थे. मैंने 40 लाख इस कंपनी में निवेश किया. प्रधान नगर के निवासी मृणाल चक्रवर्ती ने बताया कि मैं उम्र के आखिरी पड़ाव में क्या कर बैठा.

बेटी की शादी कर चुका था. आराम से जीना चाहता था. मेरे जितने पैसे थे. मैंने इस कंपनी में झोक दिया कि कुछ पैसा मिलेगा. मेरी पत्नी कोई भी कॉल आने से डर जाती है. प्रधान नगर में मेरी अच्छी खासी साख थी, वह सब मिट गया. बुढ़ापे में अब संघर्ष करूं या आत्महत्या!

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