चाय बागान : आइएलओ में उठेगा वेतन का मामला

सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल के विभिन्न चाय बागानों में काम कर रहे श्रमिकों के वेतन एवं मजदूरी संबंधी समस्याओं को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने का निर्णय लिया गया है. फ्रांस के प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को इंटरनेशनल लेबर आर्गनाइजेशन (आइएलओ) में ले जाने की बात कही है. फ्रांस के प्रमुख ट्रेड यूनियनों में शुमार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2014 4:08 AM

सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल के विभिन्न चाय बागानों में काम कर रहे श्रमिकों के वेतन एवं मजदूरी संबंधी समस्याओं को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने का निर्णय लिया गया है. फ्रांस के प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को इंटरनेशनल लेबर आर्गनाइजेशन (आइएलओ) में ले जाने की बात कही है. फ्रांस के प्रमुख ट्रेड यूनियनों में शुमार जेनरल कंफेडरेशन ऑफ लेबर के तीन प्रतिनिधि इन दिनों भारत दौरे पर हैं.

तीनों प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र तथा आज शनिवार को तराई एवं डुवार्स के कई चाय बागानों का दौरा किया. चाय बागानों में काम कर रहे श्रमिकों की दयनीय स्थिति पर प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने अपनी चिंता व्यक्त की है. इस प्रतिनिधि में मेरियानिक ली ब्रिश, चेनटी मारटियाल तथा लॉरेंस कैरिटी शामिल हैं.

विभिन्न चाय बागानों का दौरा करने के बाद इन तीनों ने सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय चाय बाजार में भारतीय चाय की काफी मांग है. यूरोप की कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी भारतीय चाय के कारोबार में लगी हुई हैं. यूरोपीय देशों में भारतीय चाय खासकर दाजिर्लिंग चाय की एक अलग पहचान है. यूरोप में जो लोग चाय पी रहे हैं, उन्हें यह पता नहीं कि इतना अच्छा चाय बनाने वाले भारतीय चाय श्रमिकों की स्थिति कितनी बुरी है. संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख मेरियानिक ली ब्रिश ने आगे कहा कि उन्होंने जिन भी चाय बागानों का दौरा किया, वहां के श्रमिकों के रहन-सहन की दयनीय स्थिति को देखकर उन्हें हैरत हुई है. इन मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी तक नहीं दी जा रही है. ब्रिश ने आगे कहा कि चाय बागानों का दौरा करने के बाद उन्हें पता चला कि चाय श्रमिकों के वेतन तथा मजदूरी समझौते की मियाद काफी पहले ही खत्म हो गयी है. उसके बाद भी नया समझौता अब तक नहीं हुआ है. राज्य सरकार और चाय बागान मालिकों ने वेतन समझौते को लागू करने में अपनी कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी है. न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिलने के कारण श्रमिकों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. उन्होंने बात भी पर आश्चर्य व्यक्त किया कि सरकार भी इस समस्या का समाधान नहीं कर पा रही है.

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