21 साल लगे पुवाली सेन की आत्मा को न्याय पाने में
सिलीगुड़ी: 21 जनवरी,1992 को चिकित्सकीय लापरवाही में विप्लव सेनगुप्ता की पत्नी पुवाली सेनगुप्ता की जान चली गयी. सेप्टीसेमिया इंफेक्शन का वह शिकार हुई थी. उनका ईलाज डॉ केसी मित्र के निर्देश में हो रहा था. चिकित्सीय लापरवाही के विरोध में विप्लव सेन ने कोर्ट केस किया था. उस समय इस घटना को लेकर कई संगठनों […]
सिलीगुड़ी: 21 जनवरी,1992 को चिकित्सकीय लापरवाही में विप्लव सेनगुप्ता की पत्नी पुवाली सेनगुप्ता की जान चली गयी. सेप्टीसेमिया इंफेक्शन का वह शिकार हुई थी. उनका ईलाज डॉ केसी मित्र के निर्देश में हो रहा था. चिकित्सीय लापरवाही के विरोध में विप्लव सेन ने कोर्ट केस किया था. उस समय इस घटना को लेकर कई संगठनों ने मिलकर आंदोलन किया था.
विभिन्न जांच कमेटियां गठित की गयी. 21 साल में इसे लंकर चिकित्सकों और गवाहों की लंबी जिरह चली. मंत्री अशोक नारायण भट्टाचार्य की अनुपस्थिति के लिए कई बार कार्रवायी बाधित हुई. इसके समानांतर डॉ केसी मित्र ने भी विप्लव सेन गुप्ता पर मानहानि का केस ठोक दिया.
लेकिन यह मामला कोर्ट ने रद्द कर दिया. 30 अप्रैल को सिविल जज, सीनियर डिविजन के संजय पाल के निर्देश में राय आयी कि वाकई पुवाली सेनगुप्ता की जान चिकित्सीय लापरवाही के कारण हुआ था, इसका उन्हें हर्जाना देना होगा. हर्जाना की रकम पांच लाख है. यदि तीन माह के भीतर हर्जाना नहीं दिया जाता तो कार्रवायी होगी. विप्लव सेन की ओर से अधिवक्ता सुनील कुमार सरकार केस लड़ रहे थे. इस राय के संबंध में डॉ केसी मित्र का कहना है कि उनपर जो आरोप लगाया गया है. वे बेबुनियाद है. मेरी छवि को खराब करने की साजिश की जा रही है. मैं इसके खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाऊंगा. पुवाली सेन गुप्ता 21 दिन के बच्चे को जन्म देकर अकाल मृत्यु का शिकार हुई थी.
उनकी स्मृति में चित्रंकन व शैक्षणिक प्रतियोगिता का आयोजन विप्लव सेन गुप्ता अपने पैसे से करते है. हर्जाना का पैसा भी वे शैक्षणिक कार्य के लिए करेंगे. उन्होंने कहा कि 21 साल के संघर्ष से मैंने सीखा कि देश में न्याय और सही चिकित्सका पाना बहुत मुश्किल है. मैं एक शिक्षक होकर इतना पीड़ित हुआ, आम आदमी का पता नहीं क्या दुर्दशा होती होगी!