गुरु पूर्णिमा पर हुई गुरु वंदना

सिलीगुड़ी: सच्चा गुरू यदि मिल जाए, तो जीवन सुगम हो जाता है. आज के जटिल से जटिलतम जीवन में गुरू ही सच्च राह दिखा सकता है. वहीं निर्मल बाबा सरीखे गुरू आपको भटका भी सकता है. गुरू वंदना की परंपरा हमारे यहां अनादिकाल से है. उसे ईश्वर से भी ऊपर स्थान दिया गया है. मैकाले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 23, 2013 7:08 AM

सिलीगुड़ी: सच्चा गुरू यदि मिल जाए, तो जीवन सुगम हो जाता है. आज के जटिल से जटिलतम जीवन में गुरू ही सच्च राह दिखा सकता है. वहीं निर्मल बाबा सरीखे गुरू आपको भटका भी सकता है.

गुरू वंदना की परंपरा हमारे यहां अनादिकाल से है. उसे ईश्वर से भी ऊपर स्थान दिया गया है. मैकाले की शिक्षा पद्धिती ने हमें ‘शिक्षक’ दिया. लेकिन हमारे यहां तो गुरू परंपरा थी. कुष्ण, अजरुन, राम से लेकर चंद्रगुप्त, विक्रमादित्य आदि व्यक्तित्व गुरूकूल परंपरा की उपज है. सोमवार को गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर संस्थानों के स्थान मंदिरों और संगठनों में गुरू पूर्णिमा मनाया गया. भारत स्वाभिमान ट्रस्ट, पंतजलि योगपीठ की ओर से प्रधान नगर में गुरू पूर्णिमा पर गुरू वंदन किया गया.

इसके साथ ही आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से सिटी गार्डन में भजन संध्या का आयोजन किया गया. परमानंद योगानंद योगाश्रम, दागापुर स्थित लोकनाथ मंदिर, एनजेपी स्थित अनुकूल ठाकुर के भक्तों ने धूमधाम से गुरू पूर्णिमा मनाया.

Next Article

Exit mobile version