बदलेगा सिलीगुड़ी का चेहरा

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी में 157 बस्ती एरिया है. और शहर के सौंदर्य में यह बस्ती एक दाग है. आवासीय योजनओं का लाभ स्लम एरिया के लोगों को ठीक से मिलना, एक चुनौति है. और उससे मुश्किल किस वार्ड से इन आवासीय योजना का कार्य शुरू किया जाये. अपने शहर पर एक सरसरी निगाह से देखे तो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:33 PM

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी में 157 बस्ती एरिया है. और शहर के सौंदर्य में यह बस्ती एक दाग है. आवासीय योजनओं का लाभ स्लम एरिया के लोगों को ठीक से मिलना, एक चुनौति है. और उससे मुश्किल किस वार्ड से इन आवासीय योजना का कार्य शुरू किया जाये.

अपने शहर पर एक सरसरी निगाह से देखे तो मिलेगा कई ऐसे विकसित वार्ड के बीच भी झोपड़ी दीख जायेगी या स्लम एरिया के बीच एक पंचमंजिला मकान. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि गरीब लोगों को राजीव आवास योजना का लाभ कैसे मिलेगा? लेकिन इसका बेहतर उपाय ढ़ूंढ़ लिया गया है. गूगल के सैटलाइट मैप के द्वारा चिन्हित करके उस झोपड़ी को बुनियादी सुविधा दी जायेगी. इस योजना की खासियत यह है कि अनुदान नगर निगम को नहीं मिलेगी.

एजेंसी के माध्यम से स्लम एरिया के निवासियों को मिलेगी. वह भी उनकी जरूरत को देखकर यदि उनका घर ठीक है, तो उनके गली, रास्ता, जलापूर्ति, बिजली, स्वास्थ्य केंद्र आदि की व्यवस्था करेगी. गूगल से पूरे भू-भाग का अवलोकन किया जायेगा. इस योजना का लाभ सिलीगुड़ी और जलपाईगुड़ी वासियों को होगा. राज्य विकास प्राधिकरण विभाग की ओर से देवज्योति घोष और रूनझून राय चौधरी ने पावर प्वांट के माध्यम से इस परियोजना की जानकारी शुक्रवार को सिलीगुड़ी नगर निगम की मेयर गंगोत्री दत्ता और सभी दलों के पार्षदों को दी.

मेयर गंगोत्री दत्ता ने कहा कि पूरे शहर को मानवीय अवलोकन और जांच जटिल है. स्लम एरिया में भवन है और आर्थिक रूप से समृद्ध वार्ड में भी झोपड़ी है. सैटलाइट के जरिए हम घर, आस-पास के इलाके और बुनियादी व्यस्था को देख सकते है और उसके अनुसार हम इस योजना का लाभ पा सकते है. इस योजना के तहत पांच स्लम एरिया को चयनित किया जायेगा. एक ट्राजिट हाउस का भी गठन किया जायेगा.

मेयर से पूछे जाने पर कि इस योजना के तहत सभी घर एक जैसे दिखेंगे. सबके अपने सपने होते है, फिर इस इच्छा की पूर्ति कैसे होगी. उन्होंने बताया कि यदि सुविधा पाने वाले लोग यदि अपनी इच्छानुसार घर या बुनियादी व्यवस्था चाहते है, तो उन्हें 10 फीसदी अंश देना होगा. इस योजना के तहत 30 फीसदी अनुदान राज्य सरकार तथा 70 फीसदी केंद्र सरकार देगी.

Next Article

Exit mobile version