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सीज वर्क. हाइकोर्ट की चीफ जस्टिस ने की वकीलों से बात मांगों पर गौर करने का भरोसा

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी में मेट्रोपोलिटन कोर्ट बनाने व भक्तिनगर थाना क्षेत्र में दर्ज मामले की सुनवाई यहीं कराने की मांग को लेकर पिछले एक महीने से भी अधिक समय से सीज वर्क आंदोलन कर रहे वकीलों से शनिवार को कलकत्ता हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस मंजुला चिल्लूर ने बैठक की. जस्टिस चिल्लूर हाईकोर्ट के अन्य अधिकारियों के […]

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी में मेट्रोपोलिटन कोर्ट बनाने व भक्तिनगर थाना क्षेत्र में दर्ज मामले की सुनवाई यहीं कराने की मांग को लेकर पिछले एक महीने से भी अधिक समय से सीज वर्क आंदोलन कर रहे वकीलों से शनिवार को कलकत्ता हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस मंजुला चिल्लूर ने बैठक की.

जस्टिस चिल्लूर हाईकोर्ट के अन्य अधिकारियों के साथ सिलीगुड़ी कोर्ट पहुंचीं और कोर्ट रूम में सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन के सदस्यों के साथ बातचीत की. सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन के सचिव चंदन दे ने चीफ जस्टिस के साथ हुई बातचीत को काफी सकारात्मक बताया. बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए श्री दे ने कहा कि हमने अपनी मांगें चीफ जस्टिस के समक्ष रख दी है.

उन्होंने उनकी मांगों को ध्यान से सुना और उपयुक्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. उन्होंने बताया कि चीफ जस्टिस ने कोलकाता जाकर राज्य सरकार के साथ व केंद्र सरकार के कानून मंत्रलय के साथ इस मुद्दे पर बातचीत करेंगी. उन्होंने आंदोलन कर रहे वकीलों से आंदोलन खत्म करने की भी अपील की. उनकी इस अपील पर श्री दे ने कहा कि इस महीने की 12 तारीख को सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन की आम बैठक होगी. बैठक में आंदोलन के आगे जारी रखने या फिर उसे खत्म कर देने पर विचार-विमर्श किया जायेगा. कोर्ट परिसर में चीफ जस्टिस ने संवाददाताओं से कुछ खास बातचीत नहीं की. हालांकि उन्होंने कहा कि आंदोलन कर रहे वकीलों से सीज वर्क आंदोलन खत्म करने के लिए कहा गया है. बाद में चीफ जस्टिस श्रीमती चिल्लूर उस स्थान पर भी गयीं, जहां मेट्रोपोलिटन कोर्ट भवन का निर्माण होना है. दो साल पहले तत्कालीन कानून मंत्री ने भवन निर्माण का शिलान्यास किया था.

शिलान्यास के बाद भवन निर्माण की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई. यह पूरा इलाका अभी भी विरान पड़ा हुआ है. चीफ जस्टिस श्रीमती चिल्लूर के साथ राज्य पीडब्ल्यूडी के कई अधिकारी भी मौजूद थे. जस्टिस चिल्लूर ने इन अधिकारियों से भी बातचीत की और भवन निर्माण का काम शुरू होने तथा इसके कितने समय में पूरा किये जाने आदि संबंधी जानकारी मांगी. बाद में पीडब्ल्यूडी के अधिकारी चीफ जस्टिस को कई अन्य सरकारी भवनों को भी दिखाने ले गये, जहां तत्कालिक रूप से मेट्रोपोलिटन कोर्ट का काम-काज शुरू हो सकता है. इस बीच, भाजपा ने चीफ जस्टिस के सिलीगुड़ी कोर्ट के दौरा करने तथा वकीलों के साथ बातचीत कर सीज वर्क आंदोलन खत्म करने की पहल का स्वागत किया है. भाजपा के जिला महासचिव नंदन दास ने कहा है कि यह एक प्रशासनिक मामला है और इस बारे में वह कुछ खास नहीं कहना चाहते, लेकिन भाजपा सांसद एसएस अहलुवालिया ने इस समस्या के समाधान की दिशा में विशेष पहल की है. उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले ही सांसद अहलुवालिया ने सीज वर्क आंदोलन कर रहे वकीलों से बातचीत की थी और बताया था कि इस समस्या के समाधान की दिशा में उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्रलय को एक चिट्ठी लिखी है. उसके बाद केंद्रीय कानून मंत्रलय ने कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को एक पत्र लिख कर सिलीगुड़ी कोर्ट का जायजा लेने के लिए कहा था. उल्लेखनीय है कि भक्तिनगर थाने में दर्ज मामले की सुनवाई सिलीगुड़ी कोर्ट में करने हेतु मेट्रोपोलिटन कोर्ट बनाने की मांग में सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन के सदस्य इन दिनों सीज वर्क आंदोलन पर है. यह आंदोलन एक महीने से भी अधिक समय से जारी है. इसकी वजह से सिलीगुड़ी अदालत में कानूनी प्रक्रियाओं पर इसका बुरा असर पड़ा है. उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने भी वकीलों से बातचीत की थी लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.

क्या है मामला

भक्तिनगर थाना भले ही सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिट पुलिस के अधीन हो, लेकिन इस थाने में दर्ज मामले की सुनवाई जलपाईगुड़ी कोर्ट में होती है. यहां के लोगों को विभिन्न कार्यो के लिए 50 किलोमीटर दूर जलपाईगुड़ी का चक्कर काटना पड़ता है. इस वजह से भक्तिनगर थाने में दर्ज मामले की सुनवाई सिलीगुड़ी कोर्ट में किये जाने की मांग काफी दिनों से की जा रही है. सिलीगुड़ी अदालत में मेट्रोपोलिटन कोर्ट नहीं होने के कारण ही वर्तमान में मामले की सुनवाई जलपाईगुड़ी में हो रही है.राज्य सरकार ने दो वर्ष पहले सिलीगुड़ी अदालत परिसर में मेट्रोपोलिटन कोर्ट बनाने की मंजूरी दी थी और तत्कालीन कानून मंत्री ने मेट्रोपोलिटन कोर्ट के भवन निर्माण के लिए शिलान्यास भी किया था. उस समय सिलीगुड़ी अदालत परिसर में पहले से ही दो मंजिला भवन बना हुआ था, जहां अदालती कामकाज होते थे. बाद में इस भवन को तोड़ दिया गया और मेट्रोपोलिटन कोर्ट हेतु नये भवन के निर्माण का शिलान्यास किया गया. तब से लेकर अब तक दो वर्ष से भी अधिक का समय हो चुका है. भवन निर्माण की दिशा में एक ईंट नहीं जोड़ी गयी है.

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