लूट लिया मालती का सिंदूर !

सिलीगुड़ी: ‘दुनिया आंसू पसंद करती है! मगर शोख चेहरो के..’कवि सर्वेश्वर ने इस पंक्ति से बहुत पहले बता दिया कि दर्द का भी समाज में वर्गीकरण है. एक अमीर और गरीब की पीड़ा में भेद है! डाबग्राम दो, ठाकुरनगर की मालती वर्मन सिलीगुड़ी सदर अस्पताल में अपने पति के शव के पास बिलख रही थी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2013 8:14 AM

सिलीगुड़ी: ‘दुनिया आंसू पसंद करती है! मगर शोख चेहरो के..’कवि सर्वेश्वर ने इस पंक्ति से बहुत पहले बता दिया कि दर्द का भी समाज में वर्गीकरण है. एक अमीर और गरीब की पीड़ा में भेद है! डाबग्राम दो, ठाकुरनगर की मालती वर्मन सिलीगुड़ी सदर अस्पताल में अपने पति के शव के पास बिलख रही थी कि मैं अब भी अपने पति को दस साल तक खिला सकती हूं! वह रोगी था, मेरे मांग का सिंदुर था, उसकी चलती श्वांसों से मेरा जीवन चलता था. आज खिला भी नहीं पायी! हाय रे, एक वोट से क्या होता है! यह एक वोट मेरे पति को जिला सकता है.

गौरतलब है कि गुरूवार की सुबह कुछ तृणमूल कार्यकत्र्ता सुबह 11 बजे मालती के घर उसके पति को मतदान केंद्र ले जाने का आये थे. मालती ने कहा कि उसका पति चल नहीं सकता. पिछले तीन साल से उसके आधे शरीर में लकवा मार दिया है. वह खड़ा नहीं हो सकता. लेकिन कार्यकत्र्ताओं ने एक न सुनी और उसे उठाते हुये डाबग्राम -2 नं शिशु शिक्षा केंद्र ले गये. मालती वर्मन के घर से मतदान केंद्र की दूरी 400 मीटर थी. मतदान केंद्र पर जाते ही वह कांपने लगे. तेज धूप की वजह से लगभग साढ़े ग्यारह बजे उन्होंने इस बूथ पर ही अपने प्राण त्याग दिये.

मालती वर्मन ने बताया कि मेरे पति के मौत का हर्जाना देना होगा. बतादें कि मालती के पास संपत्ति के नाम पर कुछ नहीं. एक कट्ठा जमीन पर मिट्टी का घर है. उसकी बेटी पॉली वर्मन कक्षा सातवीं में पढ़ती है. बिना ट्यूशन के वह कई बार फेल हो गयी. मैं बीमार पति को देखूं या बेटी को पढ़ाऊ. एक बार पंचायत प्रधान के पास कुछ सहायता के लिए गयी थी. गाली देकर भगा दिया गया. दोबारा कहीं जाने की उसमें हिम्मत नहीं. मेरा सुहाग उजड़ गया. डाबग्राम क्षेत्र के निर्दलीय उम्मीदवार ने इस घटना के संबंध में कहा कि यदि जबरन महेंद्र वर्मन को लाया नहीं जाता, तो उसकी मृत्यु नहीं होती. वहीं तृणमूल उम्मीदवार सागर महंतो का कहना है कि विरोधियों के पैरों की जमीन खिसक गयी है.

झूठा अरोपा मथ रहे है. हमने जबरन किसी को मतदान केंद्र पर नहीं लाया. बल्कि महेंद्र वर्मन स्वयं मतदान केंद्र आये थे. इलाकेवासियों ने बताया कि जबरन उसे मतदान के लिए ले जाया गया. महेंद्र वर्मन के शव को पुलिस भेन से सिलीगुड़ी अस्पताल लाया गया. मालती की माली हालत बताने के लिए इतना काफी है कि सिलीगुड़ी सदर अस्पताल से घर तक जाने के लिए उसके पास रिक्शा का भाड़ा नहीं था. मालती की बेटी पॉली के सिर से अब पिता का साया उठ गया! आखिरी दौर का पंचायत चुनाव में किसकी जीत होगी या किसकी हार! यह 29 को पता चलेगा. लेकिन इस राजनीति में बेमौत जो मारे गये, उसका हिसाब कौन करेगा.

Next Article

Exit mobile version