कानून तोड़ो आंदोलन छह को

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) की चर्चित 200 करोड़ रुपये के आर्थिक घोटाले को लेकर एक बार फिर वामपंथी आंदोलन के मूड में हैं. वाम मोरचा के दाजिर्लिंग जिला के संयोजक, पूर्व नगर विकास मंत्री व एसजेडीए के पूर्व चेयरमैन अशोक भट्टाचार्य ने दावा करते हुए कहा है कि एसजेडीए घोटाले की जांच प्रक्रिया को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2015 7:15 AM
सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) की चर्चित 200 करोड़ रुपये के आर्थिक घोटाले को लेकर एक बार फिर वामपंथी आंदोलन के मूड में हैं. वाम मोरचा के दाजिर्लिंग जिला के संयोजक, पूर्व नगर विकास मंत्री व एसजेडीए के पूर्व चेयरमैन अशोक भट्टाचार्य ने दावा करते हुए कहा है कि एसजेडीए घोटाले की जांच प्रक्रिया को राज्य सरकार दबाने की कोशिश कर रही है. इस घोटाले के बड़े मछली अभी भी खुलेआम घुम रहे हैं.

वहीं दिखावे के लिए कुछ छोटे मछलियों को गिरफ्तार एवं पूछताछ कर छोड़ दिया गया. जिस तरह सारधा चिटफंड कांड में आम जनता के करोड़ों रुपये नौ-छह किये गये, इससे लगता है कि अब सरकारी व आम जनता के रुपये लूट कर ही ममता सरकार के नुमाइंदे (नेता, मंत्री) अपना बेलेंस बढ़ायेंगे और उनपर कोई गाज भी नहीं गिरेगी. लेकिन वाममोरचा ऐसा होने नहीं देगी. श्री भट्टाचार्य का कहना है कि करीब 200 करोड़ के आर्थिक घोटाले के खुलासे के बाद एसजेडीए की ओर से थाना में मामला दर्ज किया गया था.

सिलीगुड़ी कमिश्नरेट के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर कलियप्पन जयरमण ने मामले को जिस गंभीरता से लिया, उन्हें उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा. जयरमण ने जांच के दौरान ही घोटाले में लिप्त एसजेडीए के पूर्व सीईओ व मालदा जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम) गोदाला किरण कुमार को गिरफ्तार कर साहसी व निष्पक्ष पुलिस अधिकारी का परिचय दिया, लेकिन सत्ता पक्ष की किरकिरी न हो, इसके लिए गिरफ्तार गोदाला को ममता सरकार के दबाव से 24 घंटे के अंदर ही सिलीगुड़ी अदालत से रिहा करवा दिया गया और जयरमण का तबादला कर दिया गया. अशोक का दावा है कि जयरमण के तबादले के बाद से ही जांच प्रक्रिया की आंच भी धीमी कर दी गयी और अब एसजेडीए घोटाले की जांच सही ढंग से नहीं की जा रही. वाममोरचा के सीबीआइ जांच की मांग को ठूकरा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सीबीआइ जांच कराये जाने के लिए वामपंथी एकबार फिर आंदोलन के मारफत केंद्र व राज्य सरकार पर दबाव बनायेंगे. आगामी छह फरवरी को कानून तोड़ो आंदोलन का आह्वान किया गया है.

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