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उत्तरायण की करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम

सिलीगुड़ी: माटीगाढ़ा उत्तरायण टाउनशिप पर ग्रहण लग गया है. यह जगह किसी को सुकून दे नहीं पायी. कहा जाता है कि यह चाय बगान के गरीब मजदूरों से जबरन छीनी गयी थी. कराड़ों की जमीन का मूल्य अब कुछ भी नहीं. 2004 में लॉटरी सिस्टम से लक्ष्मी टाउनशिप प्राइवेट लिमिटेड ने वाम मोरचा सरकार से […]

सिलीगुड़ी: माटीगाढ़ा उत्तरायण टाउनशिप पर ग्रहण लग गया है. यह जगह किसी को सुकून दे नहीं पायी. कहा जाता है कि यह चाय बगान के गरीब मजदूरों से जबरन छीनी गयी थी. कराड़ों की जमीन का मूल्य अब कुछ भी नहीं. 2004 में लॉटरी सिस्टम से लक्ष्मी टाउनशिप प्राइवेट लिमिटेड ने वाम मोरचा सरकार से लीज पर जमीन ली थी. इसे एलआइजी,एमआइजी व एचआइजी भागों में बांट कर चार से पांच फेज में बिक्री की गयी.

शुरुआत में इसकी कीमत 65 हजार प्रति कट्ठा थी, लेकिन धीरे-धीरे इसकी कीमत बढ़कर तीन लाख 75 हजार हो गयी. वर्त्तमान में इस जमीन की कीमत 20 से 25 लाख प्रति कट्ठा है. हो भी क्यों न, इसे इतना सजाया संवारा गया है! लेकिन अब यह सजावट किसी काम की नहीं! सरकार ने इस टाउनशिप पर अधिनियम 1985 का ऐसा गाज गिराया कि कोई कुछ नहीं कर सकता. यहां के 826 आवासीय लोग जिन्होंने बड़ी मुश्किल से पैसा जुगाड़ के यहां अपना सपनों का आशियाना बनाया , वह बिना हथौड़ी और बुलडोजर के टूट गया!

उत्तरायण पिपुल्स वेलफेयर सोसायटी के डॉ तुषार कांति घोष ने आरोप लगाया है कि लक्ष्मी टाउनशिप प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने हमसे छल किया. एक तो सरकारी अधिसूचना को हमसे छुपाया. दूसरा, लीज की जमीन हमें सब लीज करके दी.

अब इस जमीन को न हम बेच सकते हैं, न उपहार दे सकते हैं. उत्तर बंग विकास मंत्री गौतम देव का कहना है कि अधिनियम के अनुसार, सरकार काम कर रही है, लेकिन हम इस विषय पर एक जांच कमेटी का गठन कर के इस पर विचार करेंगे. वहीं अशोक नारायण भट्टाचार्य का कहना है कि लीज की जमीन को हस्तांतरण करना चाहिए था. तब यह समस्या नहीं होती. इस संबंध में लक्ष्मी टाउनशिप प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ कर्नल धर ने बताया कि हमें यहां के आवासीय लोगों ने एक ज्ञापन सौंपा है.

हम उच्च अधिकारी तक उनकी बात पहुंचायेंगे. उत्तरायण पीपुल्स वेलफेयर सोसायटी के डॉ तुषार घोष ने बताया कि हम इस सिलसिले में सीधे टाउनशिप के निर्देशक दीपांकर चटर्जी से बात करना चाहते हैं, लेकिन उनसे हमारी बात नहीं करायी जा रही है. इस सरकारी नोटिस से सवा आठ सौ परिवार का भविष्य अंधकार में है. हम प्रशासन व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक बात पहुंचायेंगे. निदेशक से बात करने के बाद यदि हमें सकरात्मक चीज सामने नहीं आती, तो हम आंदोलन करेंगे.

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