जीटीए भंग हो, तभी गोरखालैंड का रास्ता साफ होगा : पाखरीन

सिलीगुड़ी: गोरखालैंड के मार्ग में बाधा है, गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनीस्ट्रेशन(जीटीए). इसे भंग करना होगा. जहां तक बंग-भंग की बात है, तो बंगाल सरकार को दार्जिलिंग के इतिहास के विषय में फिर से पढ़ना चाहिए. कारण दार्जिलिंग कभी बंगाल का हिस्सा नहीं रही है. यह कहना है गोरखालैंड राज्य निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष दाबा पाखरीन का. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 27, 2013 7:19 AM

सिलीगुड़ी: गोरखालैंड के मार्ग में बाधा है, गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनीस्ट्रेशन(जीटीए). इसे भंग करना होगा. जहां तक बंग-भंग की बात है, तो बंगाल सरकार को दार्जिलिंग के इतिहास के विषय में फिर से पढ़ना चाहिए. कारण दार्जिलिंग कभी बंगाल का हिस्सा नहीं रही है.

यह कहना है गोरखालैंड राज्य निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष दाबा पाखरीन का. उन्होंने बताया छोटे-छोटे राज्यों से देश का विकास होगा, न विनास. तमिनांडू, उत्तरांचल, झारखंड, सिक्किम आदि राज्य का विकास अलग होने के कारण हुआ.

गोरखाओं का विकास, गोरखालैंड बनने से होगा. इस आंदोलन को दबाने के जगह , बंगाल सरकार को संवेदनशीन और समझने की जरूरत है. वह पहाड़ में फूट डालो और शासन करो की नीति अपना रही है.

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