निगम के वामपंथी बोर्ड ने भी प्रोपर्टी टैक्स समीक्षा में
आसनसोल : आसनसोल नगर निगम में सरकारी निगमों को ताक पर रख कर प्रोपर्टी टैक्स में मनमानी छूट कांग्रेस व तृणमूल कांग्रेस के बोर्ड ने ही नहीं, इसके पूर्ववर्त्ती वामपंथी बोर्ड ने भी दी थी.
राज्य सरकार की ओर से आयी ऑडिट टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2013 यह प्रक्रिया जारी रही है. सिंगल और मल्टीपुल 4110 मामलों की सुनवाई में 1.23 करोड़ रुपये से अधिक की छूट दी गयी है.
सनद रहे कि ऑडिट टीम ने इस संबंध में निगम प्रशासन से स्पष्टीकरण भी मांगा था. इस मुद्दे पर मेयर तापस बनर्जी ने संबंधित अधिकारियों व कर्मियों के साथ बैठक भी की थी.
विभागीय सूत्रों ने बताया कि वामपंथी बोर्ड ने भी इस तरह की मनमानी की है. नियमानुसार किसी भी टैक्स में समीक्षा के बाद 25 फीदी से अधिक की छूट नहीं दी जा सकती है. लेकिन नियमों की अवहेलना कर वर्ष 2006 से 2013 तक अधिक से अधिक छूट दी गयी है.
ऑडिट टीम ने ऐसे 67 मामलों की सूची बनायी है, जिसमें 75 फीसदी से भी अधिक की छूट दी गयी है. इनमें से अधिकतर मामले वामपंथी बोर्ड के ही है. 90 फीसदी से अधिक की छूट दिये जाने के मामले आधा दर्जन से भी अधिक हैं.
ऑडिट टीम के अनुसार इन वर्षो में सुनवाई के लिए 4110 मामले पेश हुये. इनमें 3908 मामले सिंगल रिव्यू तथा 202 मामले मल्टीपुल शामिल हैं. इनमें से 4007 मामलों की समीक्षा की गयी. इनमें 3908 सिंगल तथा 99 मल्टीपुल शामिल है. सिंगल मामलों में पुराना वैल्यूएशन 7.34 करोड़ रुपये का था.
इसे 3.08 करोड़ की राशि घटायी गयी. जो कुल राशि का 42.03 फीसदी है. जबकि मल्टीपुल मामलों में 25 लाख के वैल्यूएशन में 7.77 लाख की कमी की गयी. यह कमी 30.67 फीसदी थी. इस प्रकार कुल 7.59 करोड़ के वैल्यूएशन में 3.16 करोड़ की छूट दी गयी जो 41.65 फीसदी है.
वामपंथी बोर्ड में मेयर तथा इस समय विपक्षी दल के नेता तापस कुमार राय ने कहा कि वे इस मामले की पूरी जानकारी लेने के बाद कोई टिप्पणी करेंगे. मेयर तापस बनर्जी को पहले ऑडिट टीम की ओर से मांगे गये तथ्यों को भेजने दें, जवाब में किसी प्रकार की विसंगति व अनियमितता देखे जाने के बाद इस मामले पर अपना पक्ष रखेंगे.
भाकपा पार्षद व पूर्व उपमेयर विनोद सिंह ने कहा कि तत्कालीन बोर्ड में शिक्षक संस्थानों, अस्पताल व धार्मिक स्थलों आदि के प्रोपर्टी टैक्स में 50 फीसदी से अधिक छूट दी गयी है. लेकिन यह सभी म्यूनिसिपल एक्ट के दायरे में ही हुए.
टैक्स में छूट देने की मांग उन संस्थानों द्वारा किये जाने के बाद तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी से सलाह मशविरा किया गया था. इसके बाद एमआइसी बैठक में पारित होने के बाद इसे मासिक बोर्ड बैठक में मंजूर किया गया है.
उन्होंने कहा कि काफी पुराना व जजर्र भवन होने के कारण भी टैक्स में छूट दी गयी थी. संपत्ति कर के लिए प्रतिष्ठानों को चार जोनों में बांटा गया था. उन्होंने कहा कि वर्तमान बोर्ड ने किस दायरे में आकर संस्थानों को संपत्ति कर में छूट दी है.
इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. उनका आरोप है कि वर्तमान बोर्ड ने कई संस्थानों में बिना एमआइसी व बोर्ड बैठक में पारित किये ही संपत्ति कर में भारी छूट दे दी है. इससे नगर निगम को राजस्व का नुकसान हुआ है. उनका कहना है कि आडिट रिपोर्ट पर विचार करते हुए मेयर को उन संस्थानों के लिए संपत्ति कर का पुनर्विचार करना चाहिए.