कोयलामंत्री ने बुलायी पांच केंद्रीय यूनियनों की बैठक 11 को
आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के पांच फीसदी शेयर बिक्री और कंपनी के पुनर्गठन को निजीकरण बताते हुये केंद्रीय यूनियनों की 23 सितम्बर से होनेवाली त्रिदिवसीय राष्ट्रीय कोयला हड़ताल को टालने के लिए केंद्रीय सरकार ने पहल शुरू कर दी है. कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल ने सभी पांच केंद्रीय यूनियनों के नेताओं को वार्ता […]
आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के पांच फीसदी शेयर बिक्री और कंपनी के पुनर्गठन को निजीकरण बताते हुये केंद्रीय यूनियनों की 23 सितम्बर से होनेवाली त्रिदिवसीय राष्ट्रीय कोयला हड़ताल को टालने के लिए केंद्रीय सरकार ने पहल शुरू कर दी है.
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल ने सभी पांच केंद्रीय यूनियनों के नेताओं को वार्ता के लिए 11 सितम्बर को आमंत्रित किया है. इसके साथ ही केंद्रीय श्रमायुक्त ने भी इस मुद्दे पर त्रिपक्षीय बैठक 12 सितम्बर को बुलायी है.
कोलियरी मजदूर सभा (एटक) के महासचिव व जेबीसीसीआई सदस्य आरसी सिंह ने बताया कि एटक महासचिव के न्यायिक हिरासत में रहने के कारण वे कोयलामंत्री के साथ होनेवाली बैठक तथा केंद्रीय श्रमायुक्त की बैठक में यूनियन का प्रतिनिधित्व करेंगे. इसकी आधिकारिक सूचना मंत्रालय को दे दी गयी है.
उन्होंने कहा कि सरकार इस हड़ताल को स्थगित करने के लिए पहल कर रही है, लेकिन इसका सार्थक परिणाम सामने नहीं आयेगा. उन्होंने कहा कि केंद्रीय सरकार कोयला उद्योग के श्रमिकों के साथ पहले से ही वादाखिलाफी करती आयी है. उसकी नीति कोयला उद्योग के निजीकरण की है. पहले इसके लिए संसद में बिल पेश किया गया. लेकिन यूनियनों के संघर्ष व राजनीतिक पार्टियों के विरोध के कारण इसे मंजूरी नहीं मिली. इसके बाद कोल ब्लॉकों का आवंटन कैप्टिव प्लांट के नाम पर किया गया.
परिणामस्वरूप देश का सबसे बड़ा घोटाला कोल ब्लॉक आवंटन हो गया है. इसमें सीधे तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय की संलिप्तता सामने आ रही है. इसके बाद वर्ष 2011 में दस फीसदी शेयर की बिक्री कर दी गयी. उस समय भी यूनियनों ने इसका विरोध किया. तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने संसद में घोषणा की थी कि इसके बाद शेयर की बिक्री नहीं होगी. लेकिन सरकार ने फिर से दस फीसदी शेयर बिक्री की प्रक्रिया शुरू कर दी. यूनियनों के विरोध के बाद पांच फीसदी शेयर बेचे जा रहे हैं. यूनियनों ने हड़ताल की नोटिस थमा दी है.
पूर्व सांसद श्री सिंह ने कहा कि कोयलामंत्री श्री जायसवाल एक तरफ यूनियनों को वार्ता के लिए बुला रहे हैं, दूसरी ओर विनिवेश के लिए निविदा के माध्यम से कंपनियों का चयन भी कर रहे हैं. मंशा साफ है, वे विनिवेश की प्रक्रिया को रोकना नहीं चाहते हैं. इस स्थिति में इस बैठक का कोई रिजल्ट नहीं आनेवाला है. सरकार को सबसे पहले निजीकरण की इस प्रक्रिया को रोकना होगा.
उन्होंने कहा कि सीआईएल की अनुषांगिक कंपनियों को मिलाकर एक कंपनी गठित करने की मांग वर्षो से यूनियनें करती रही हैं. लेकिन सरकार इस मांग को पूरा करने के बजाय सीआईएल के पुनर्गठन के नाम पर कंपनियों को स्वतंत्र करना चाहती है ताकि श्रमिकों की एकता टूटे तथा घाटे में चलनेवाली या कम मुनाफा कमानेवाली कंपनियों को निजी हाथों में सौंपा जा सके.