सिलीगुड़ी : पंजाबियों का करवा चौथ का व्रत हो या बिहार व यूपी का तीज या चौथ चन्ना का व्रत हो,वास्तव में यह व्रत व उपवास रस्म अदायगी नहीं, रिश्तों को मजबूत करने में व उसे बचाने में यह अनजाने ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है. रविवार को सोलह श्रृंगार किये हुये महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा.
शिव–पार्वती की कथा सुनी, उनकी वंदना किया. पंडित जी को दान–दक्षिणा दिया गया. जायसवाल ब्याहुत महिला परिषद की ओर से जायसवाल भवन में पूरे विधि–विधान से तीज व्रत किया. जनम–जनम ऐहवात मैय्या, सुहाग बनाई रखी हमार.. जैसे लोक गीत सुनकर लग रहा था, यह सिलीगुड़ी नहीं, बिहार या यूपी का कोई अंचल विशेष है.
सुहागिन प्रीति जायसवाल, स्वाति प्रसाद दास गुप्ता, चंदा गुप्ता, संगीता जायसवाल आदि ने अपने पति के सुख, समृद्धि और दीघायु की कामना करते हुये यह कठिन व्रत पालन किया.
वहीं दूसरी ओर चांद को देखकर महिलाओं ने चौथ चन्ना व्रत किया. इस व्रत में दही, गुड़ का खीर, पूरी, फल के साथ चांद की पूजा की जाती है. पति और पुत्र के दीघायु व पूरे परिवार के मंगलकामना के लिए महिलाओं ने यह व्रत रखा. वैसे व्रत और त्यौहार पर किसी का एकाधिकार नहीं है. सिलीगुड़ी की मिश्रित संस्कृति का असर तीज त्यौहार पर भी देखा गया. दुर्गागढ़ी दुर्गा जनकल्याण संगठन की ओर से दार्जिलिंग मोड़ स्थित दुर्गामल्ला भवन में पूरे धूमधाम से तीज–उत्सव मनाया गया.