सरकारी होम की स्थिति बद से बदतर

मालदा. मालदा के सरकारी होम की स्थिति बद से बदतर है और यहां रहने वाली महिलाओं की जिंदगी जानवरों जैसी बन गयी है. यह आरोप गणतांत्रिक अधिकार रक्षा समिति (एपीडीआर) ने लगाया है. मालदा के इस सरकारी होम में एक महिला की मौत की घटना के बाद से यह होम सभी के निशाने पर है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2015 7:10 AM
मालदा. मालदा के सरकारी होम की स्थिति बद से बदतर है और यहां रहने वाली महिलाओं की जिंदगी जानवरों जैसी बन गयी है. यह आरोप गणतांत्रिक अधिकार रक्षा समिति (एपीडीआर) ने लगाया है. मालदा के इस सरकारी होम में एक महिला की मौत की घटना के बाद से यह होम सभी के निशाने पर है. एपीडीआर का कहना है कि यहां रहने वाली महिलाओं को भर पेट खाना तक नहीं मिलता है. जगह की भी भारी कमी है और एक ही कमरे में कई महिलाओं को ठूंस-ठूंस कर रखा जाता है.
एपीडीआर ने एक प्रतिनिधि मंडल के शीघ्र ही इस होम के दौरा करने की जानकारी दी. एपीडीआर के प्रतिनिधि मंगलवार तथा बुधवार को इस होम का दौरा कर सकते हैं. दूसरी तरफ समाज कल्याण विभाग के अधिकारी स्वपन घोष ने एपीडीआर के इन आरोपों को साफ तौर पर खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा है कि जो आरोप लगाये जा रहे हैं वह सही नहीं है. एपीडीआर प्रतिनिधियों के होम के दौरा करने संबंधी कोई लिखित अनुरोध उन्हें अब तक प्राप्त नहीं हुआ है. इधर, एपीडीआर के जिला सचिव जीसू राय चौधरी ने कहा है कि राज्य सरकार टीबी की बीमारी खत्म करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चला रही है. ऐसी स्थिति में एक सरकारी होम में रह रही महिला की मौत टीबी की बीमारी से हो जाना अपने आप में आश्चर्यजनक है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने भी कहा है कि होम में रहने वाली हसना बानू (47) की मौत टीबी की बीमारी से हुई है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि होम प्रबंधन की लापरवाही की वजह से ही हसना की मौत हुई है. यहां के आवासिकों को ठीक से खाना-पीना नहीं दिया जाता है. चाय-मुड़ी तथा बासी भात खाने के लिए यहां के आवासिक मजबूर हैं. इससे पहले भी यहां रहने वाली दो महिलाओं की मौत हो गई थी. इस सरकारी होम की क्या स्थिति है, इसका जायजा लेने के लिए ही वह लोग मंगलवार तथा बुधवार को सरकारी होम का दौरा करेंगे. जिला प्रशासन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शहर के मनस्कामना रोड इलाके में समाज कल्याण विभाग का यह महिला सरकारी होम है.
सरकारी नियमों के अनुसार, इस होम में रहने वाली महिलाओं को खाने में भात-दाल तथा सब्जी देने की व्यवस्था है. इसके अलावा सप्ताह में एक दिन मांस-मछली अथवा अंडा देना भी जरूरी है. जिला चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के चेयरमैन हसन अली शाह ने बताया है कि महिला होम में सभी को भरपेट खाना दिया जाता है. 22 मई को जिस महिला की मौत हुई है, वह कई प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त थी. उन्होंने होम प्रबंधन द्वारा उदासीनता बरतने के आरोप को पूरी तरह से नकार दिया है.

हालांकि उन्होंने माना कि वर्तमान में इस होम में 70 महिलाओं को रखा गया है, जबकि यहां 38 महिलाओं की ही रखने की व्यवस्था है. दूसरी तरफ एपीडीआर के जिला सचिव ने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि हसना बानू को 19 मई को होम से मालदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. खान-पान की कमी के कारण ही उसे टीबी की बीमारी हो गई. हसना बानू बिहार के रामपुर की रहने वाली थी. 20 नवंबर 2012 को बालुरघाट पुलिस ने उसे मालदा के महिला होम में अदालत के आदेश से भेज दिया था. वह महिला तीन साल से उसी होम में रह रही थी.

क्या कहते हैं एडीएम
मालदा के अतिरिक्त जिला अधिकारी देवतोष मंडल ने कहा है कि होम में रहने वाली महिलाओं के खाने-पीने की कोई कमी नहीं है. वह महिला काफी दिनों से बीमार थी. उसकी चिकित्सा को लेकर कोई लापरवाही हुई है या नहीं, इसकी जांच की जा रही है.

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