ऐसे में यहां के लोग बांग्लादेश के दाहाग्राम तथा अंगारपोता को जोड़ने के लिए भारतीय सीमा क्षेत्र में स्थित तीनबीघा व्यवस्था को बंद करने की मांग की है. यहां के लोगों का कहना है कि दोनों देश यदि छींटमहल विनिमय को लेकर समझौता कर रहे हैं, तो कुचलीबाड़ी के भविष्य को भी लेकर विचार-विमर्श होना चाहिए. तीनबीघा आंदोलन से जुड़े तथा स्थानीय मेखलीगंज प्रेस क्लब के सचिव संतोष शर्मा का कहना है कि कुचलीबाड़ी के लोगों को मेखलीगंज आने-जाने में तीनबीघा गलियारे का प्रयोग करना पड़ता है.
उसके बाद भी कुचलीबाड़ी के भविष्य को लेकर किसी ने कोई चिंता नहीं की. दूसरी तरफ भाजपा के राज्य अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने भी कुचलीबाड़ी के भविष्य को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेशी सीमा क्षेत्र दाहाग्राम तथा अंगारपोता के भी विनिमय की मांग की है. उन्होंने इस संबंध में एक प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी भेजा है. श्री सिन्हा हाल ही में तीनबीघा दौरे पर भी गये थे. कल उन्होंने सिलीगुड़ी में आयोजित एक संवाददता सम्मेलन के दौरान आशंका व्यक्त की थी कि एक ओर जहां दोनों देश की सरकारें छींटमहल विनिमय को लेकर ऐतिहासिक समझौता कर रही है, वहीं दूसरी ओर भारतीय क्षेत्र कुचलीबाड़ी कहीं नया छींटमहल न बन जाये.