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तृणमूल के साथ भविष्य में कोई गंठबंधन नहीं

सिलीगुड़ी : तृणमूल के साथ विधान सभा चुनाव के दौरान हाथ मिलाने का उद्देश्य बस एक ही था, वाममोरचा का सफाया. गंठबंधन की राजनीति में हमें नुकसान हुआ. एफडीआई के समय मुख्यमंत्री का रवैया देख चुके है. अब वह तीसरे मोरचा की सरकार बनाने के लिए दूसरे दलों के साथ साठ-गांठ कर रही है. हमारे […]

सिलीगुड़ी : तृणमूल के साथ विधान सभा चुनाव के दौरान हाथ मिलाने का उद्देश्य बस एक ही था, वाममोरचा का सफाया. गंठबंधन की राजनीति में हमें नुकसान हुआ. एफडीआई के समय मुख्यमंत्री का रवैया देख चुके है. अब वह तीसरे मोरचा की सरकार बनाने के लिए दूसरे दलों के साथ साठ-गांठ कर रही है. हमारे साथ हाथ मिलाकार ममता बनर्जी ने गद्दारी की. भविष्य में उसके साथ फिर गंठबंधन करने का कोई इरादा नहीं है.

यह हाईकमान का निर्देश है. 20 मई को उनका दो साल पूरा होना वाला है. इस दो साल में देश में नारी तस्करी के लिए बंगाल नं. एक पर था, अब भी वहीं है. हत्या के मामले में वाममोरचा ने बंगाल को नं. पांच पर पहुंचाया था, ममता बनर्जी ने उसे चौथे पायदान पर ले गयी. दुष्कर्म के मामले पर यह तीसरे नं. पर था, महिला मुख्यमंत्री ने उसे दूसरे स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया. यह कहना है पूर्व मंत्री मानस भुईंया का. वें गुरूवार को एयर व्यू के पास एक होटल में पत्रकारों से मुखातिब थे. श्री भुईंया से पूछे जाने कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को ‘तोता’ कहा. वह कई मालिकों की भाषा बोलती है.

ऐसे में सीबीआई सारधा चिट फंड कंपनी या अन्य घोटाले का कैसे निष्पक्ष जांच करेगी? उन्होंने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का कहना है, हम सर्वोच्च अदालत का सम्मान करते है. सीबीआई बड़ी जांच एजेंसी है, इसलिए हम इस बड़े चिटफंड का जांच कराना चाहते है. उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश जैसा राज्य 52 हजार करोड़ रेवेन्यू आसानी से जेनेरेट करके विकास कर रहा है. लेकिन तमाम संसाधन के बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार 25 हजार करोड़ तक रेवेन्यू तक पहुंच नहीं पायी. हिमूल की दयनीय स्थिति पर उन्होंने कहा कि अमूल डेयरी प्रोडक्ट से जहां गुजरात चमक रहा है, तो बंगाल हिमूल से क्यों नहीं चमक सकता. हिमूल के साथ हजारों कर्मचारी जुड़े है. लेकिन इस समस्या पर मुख्यमंत्री कोई कदम नहीं उठा रही. मोरचा के साथ संबंध मधुर होने के विषय में बताया कि पहाड़ पर हम शांति चाहते है.

वाममोरचा की तरह तृणमूल भी पूरे राज्य में हिंसक राजनीति कर रही है. इससे पहाड़ भी अछूता नहीं रहा. केंद्र से पिछड़ा क्षेत्र के लिए आठ हजार ,750 करोड़ मिले थे? पता नहीं उसका क्या हुआ? सारधा कंपनी के साथ उनके बड़े-बड़े मंत्रियों का नाम खुलके आ रहा है. लेकिन मां-माटी-मानुष सरकार उसे बचाने में लगी है. हम पंचायत चुनाव शीघ्र चाहते है. हम इसके लिए तैयार है. लेकिन ममता बनर्जी इसमें अड़ंगा डाल रही है. वह जानती है कि उसके प्रिय मंत्रियों ने बंगाल को लूट कर उसके साख को खंडित कर दिया है. बंगाल खोखला हो चुका है.

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