राज्यपाल श्री त्रिपाठी ने कहा कि भारत में 6 जुलाई एक महत्वपूर्ण दिन है ओर आज के ही दिन इस अविभाजित बंगाल के बालागढ़ में एक महान पुरु ष का जन्म हुआ था, जिसने अपना जीवन देश की एकता,अखंडता और रक्षा के लिए बलिदान कर दिया था .
1953 में उन्होंने कश्मीर के आंदोलन को प्रारंभ किया था. उस वक्त अलगाववादी ताकतें देश के नक्शे से कश्मीर को मिटाना चाहती थी और पाकिस्तान उनकी पीठ पर हाथ रख कर उनको प्रोत्साहन दे रहा था. उस समय डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक नारा दिया था, एक देश में दो विधान, दो निशान, दो संविधान नहीं चलेगा. उनका यह नारा काश्मीर से लेकर इलाहबाद व पूरे देश में व्याप्त हो गया था, जिसके बाद पर्ू देश के जन-जन में देशिभक्त की भावना जागृत हो गयी और पूरा देश एक साथ मिलकर आतंकवाद से लड़ने के लिए तैयार हो गया. उनके बलिदान के कारण ही आज कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग बना हुआ है. यही नहीं आज अगर श्यामा प्रसाद मुखर्जी नहीं होते, तो पश्चिम बंगाल समेत देश के कई हिस्सों को अंगरेजों ने पाकिस्तान को देने की योजना बनायी थी, जो सिर्फ उन्हीं के विरोध के कारण विफल रही. उनके इस बलिदान को आजीवन भुलाया नहीं जा सकता है.