नाम की हेराफेरी से छात्र का भविष्य अधर में

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी के रविन्द्र नगर का रहने वाला प्रांतिक साहा इस वर्ष तमाम कोशिशों के बावजूद भी कोलकाता के विद्यासागर कॉलेज में 12वीं कक्षा में दाखिला नहीं ले सकेगा. एक राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा की गई गड़बड़ी के कारण उसका पूरा साल बर्बाद होने के कगार पर है. आज सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित एक संवाददाता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 9, 2015 7:42 AM
सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी के रविन्द्र नगर का रहने वाला प्रांतिक साहा इस वर्ष तमाम कोशिशों के बावजूद भी कोलकाता के विद्यासागर कॉलेज में 12वीं कक्षा में दाखिला नहीं ले सकेगा. एक राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा की गई गड़बड़ी के कारण उसका पूरा साल बर्बाद होने के कगार पर है. आज सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान प्रांतिक साहा ने बताया कि उसने विद्यासागर कॉलेज में 12वीं कक्षा में दाखिले के लिए आवेदन किया था.

इतना ही नहीं, उसने इसके लिए आवश्यक फीस भी स्टेट बैंक के हाकिमपाड़ा ब्रांच के माध्यम से जमा करा दी थी. लेकिन मैरिट लिस्ट में उसका नाम नहीं आया. हायर सेकेंडरी की परीक्षा में उसने 78.4 प्रतिशत अंक हासिल किये हैं. इन अंकों की बदौलत उसे विद्यासागर कॉलेज में नामांकन मिल जाने की उम्मीद थी. मैरिट लिस्ट में नाम नहीं देखकर वह काफी हैरान हुआ. जब उसने इस मामले की जानकारी विद्यासागर कॉलेज से प्राप्त की तो उसे बताया गया कि उसके नाम से कोई फीस ही कॉलेज के खाते में जमा नहीं करायी गई है. विद्यासागर कॉलेज ने प्रांतिक साहा को इस बारे में अपने खाते का विवरण भी सौंप दिया. कॉलेज के खाते में पी. साहा, प्रांतिक सरकार तथा पी. सरकार के नाम से फीस जमा है, लेकिन प्रांतिक साहा के नाम से फीस जमा नहीं दिखाया गया है.

प्रांतिक ने इसके लिए बैंक पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. उसने कहा है कि बैंक ने उसके नाम से नहीं, बल्कि किसी प्रांतिक सरकार अथवा पी. साहा के नाम से विद्यासागर कॉलेज के खाते में फीस की रकम जमा करा दी.संवाददाता सम्मेलन में प्रांतिक के साथ उसके पिता प्रदीप साहा भी मौजूद थे. श्री साहा ने बताया कि प्रांतिक ने सिलीगुड़ी के वरदाकांत विद्यालय से एचएस की परीक्षा पास कर विद्यासागर कॉलेज में नामांकन की इच्छा जतायी. उन्होंने इस पर अपनी सहमति दे दी. बैंक की गड़बड़ी से उनका पुत्र न केवल विद्यासागर कॉलेज में दाखिला लेने से वंचित रह गया, बल्कि उसका एक साल भी बर्बाद होने के कगार पर है.

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