सिलीगुड़ी: बिना चुनाव में उतरे भी सत्ता पाया जा सकता है. यह सिद्ध हुआ सिलीगुड़ी महकमा परिषद में हुए सोमवार का अविश्वास प्रस्ताव से. वर्ष 2009 में सिलीगुड़ी महकमा परिषद में हुए सात सीटों के चुनाव में कांग्रेस को तीन सीटें और वाम मोरचा को चार सीटें मिलीं थी.
तृणमूल ने अपना कोई उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं उतारा था. कांग्रेस के सदस्य आइनुल हक, प्रेरणा सिंह और अंजलिका कुजूर ने इस साल तृणमूल का झंडा थाम लिया. वह भी सभाधिपति पास्कल मिंज को सूचित किये बगैर. तृणमूल में प्रवेश करने के बाद तीनों ने पास्कल मिंज के विरोध में अविश्वास प्रस्ताव लाया. बकायदा वाम मोरचा के पास संख्या बल की तुलना में एक अधिक थे, इसलिए सभाधिपति सोमवार की सुबह तक प्रसन्न थे.
बकायदा वाममोरचा की ओर से व्हीप जारी किया था. आज जब अविश्वास प्रस्ताव के लिए वोटिंग की बारी आयी तो पार्टी लाइन से विरोध खड़े होकर वाममोरचा की ज्योति तिरकी ने वाम सभाधिपति पास्कल मिंज के विरोध में वोट किया. बाकी तीनों वाम सदस्य पास्कल मिंज, विकास कलि विश्वास और सुधीर वर्मन अनुपस्थित थे. और यह प्रस्ताव पारित हो गया. अब सभाधिपति का पद ज्योति तिरकी सुशोभित करेंगी. पश्चिम बंगाल में ऐसी राजनीति का दर्शन पहली बार सिलीगुड़ी महकमा परिषद में देखने को मिला. इसे लेकर कांग्रेस और वाममोरचा में हड़कंप है. वैसे वाममोरचा ने तीनों दलबदलू तृणमूल सदस्यों पर केस किया है.
वाममोरचा सदस्य ज्योति तिरकी से पूछे जाने पर कि उन्होंने व्हीप का घेरा तोड़ कर क्यों तृणमूल का साथ दिया? उन्होंने बताया कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया. कारण पास्कल मिंज इस सभाधिपति पद का गलत इस्तमाल कर रहें थे.
इस पद पर रहकर उन्होंने किसी तरह का विकासमूल कार्य नहीं किया. उन्हें कोई पसंद नहीं करती. दूसरी ओर वाममोरचा के पूर्व नगर विकास मंत्री ने कहा कि ज्योति तिरकी ने पार्टी से विरूद्ध काम किया है. दल विरोधी नीति के तहत उसपर कार्रवायी होगी. जीवेश सरकार ने कहा कि इस अनैतिक और असंवैधानिक कार्य के लिए जो-जो कदम हमें उठाने चाहिए हम नियमों रहकर काम करेंगे. उन्होंने बताया कि जो हाल नांटू पाल का हुआ वहीं अब इन दलबदलू तृणमूल सदस्यों का होगा. अभी जितना खुश होना है, हो ले. बाद में कोर्ट का फैसला सुनकर आंसू बहायेंगे.